H C की पंजाब सरकार पर फटकार: लॉरेंस इंटरव्यू लीक, SSP पर क्यों नहीं कार्रवाई?

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**पंजाब में गैंगस्टर लॉरेंस के टीवी इंटरव्यू के मामले में उच्च न्यायालय की सख्ती**

पंजाब में गैंगस्टर लॉरेंस के टीवी इंटरव्यू को लेकर पुलिस कस्टडी से जुड़े मामले की सुनवाई 3 दिसंबर को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में की गई। इस दौरान अदालत ने पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई, खासकर तत्कालीन एसएसपी के खिलाफ कार्रवाई न होने के मुद्दे पर। न्यायालय ने स्पष्ट कहा कि जब जेल में अपराध होता है तो जेल के वार्डन के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, लेकिन जब जिले में ऐसी घटना होती है तो एसएसपी पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई। अदालत द्वारा यह भी प्रश्न उठाया गया कि आखिर पंजाब पुलिस को इस इंटरव्यू की जानकारी कैसे मिली।

इस सुनवाई में गृह सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया, जहां अदालत ने उन्हें भी सख्त नसीहत दी। न्यायालय ने कहा कि यदि अगली बार इस मामले में उचित कार्रवाई नहीं की गई तो उच्च अधिकारियों को तलब किया जाएगा। अदालत की समझ में यह बात नहीं आ रही थी कि किस प्रकार से गैंगस्टर का इंटरव्यू किया गया, और पुलिस की तरफ से अदालत में पेश की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस की ट्रांस्क्रिप्ट के आलोक में मामले की गंभीरता का आकलन किया गया।

गौरतलब है कि पहला इंटरव्यू 14 मार्च 2023 को प्रसारित हुआ था, जिसमें लॉरेंस ने सिद्धू मूसेवाला की हत्या से संबंधित जानकारी साझा की थी। उसने बताया कि मूसेवाला गैंगवार में शामिल हो गया था और इसी कारण उसे मारा गया। यह इंटरव्यू CIA की कस्टडी में दिया गया था, जो इस पूरे मामले को और अधिक जटल बनाता है। अदालत ने सवाल उठाया कि गैंगस्टर कैसे जेल की बैरक से बाहर निकलकर मुखबिरी कर रहा है, और उस पर क्या कार्रवाई की गई है।

इस मामले में पंजाब पुलिस द्वारा पहले इंटरव्यू के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है, जिसमें DSP से लेकर हेड कॉन्स्टेबल तक के अधिकारी शामिल हैं। इनमें DSP गुरशेर सिंह, DSP समर वनीत और कई अन्य सब इंस्पेक्टर शामिल हैं। सरकार ने यह भी जानकारी दी कि जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है, उन्हें पब्लिक डीलिंग से हटा दिया गया है ताकि सच्चाई सामने आ सके। लेकिन अदालत ने यह निर्देश दिया कि छोटे अधिकारियों को कुर्बानी का बकरा नहीं बनाया जाना चाहिए।

लॉरेंस ने अपने दूसरे इंटरव्यू में यह भी दावा किया कि उसे मोबाइल फोन जेल के बाहर से फेंके जाते हैं। उसने बताया कि जेल में गार्ड की उपस्थिति कम रहने पर वह आसानी से बातचीत कर लेता है। यह जांच किया जाना आवश्यक है कि जेल के सुरक्षा प्रबंध किस प्रकार से चुराए गए हैं, और क्या अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं।

इन सभी सवालों और जवाबों के बीच, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 10 दिसंबर को निर्धारित की है, जिसके दौरान यह देखने की जरूरत होगी कि क्या पंजाब सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाती है या नहीं। इसEntire मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।