कनाडा की अदालत ने खालिस्तानी आतंकवादी अर्शदीप सिंह गिल, जिसे अर्श डल्ला के नाम से जाना जाता है, को जमानत प्रदान कर दी है। यह जमानत उस समय दी गई जब वह हॉल्टन में हुई एक शूटआउट मामले में गिरफ्तार हुए थे। अदालत के समक्ष अर्श डल्ला के जमानत हेतु 30,000 कनाडाई डॉलर, जो कि भारतीय मुद्रा में लगभग 18 लाख 11 हजार रुपये के बराबर है, की जमानत राशि प्रस्तुत की गई थी। गौरतलब है कि अर्श डल्ला के खिलाफ भारत में 70 से अधिक एफआईआर दर्ज हैं और भारत की सरकार ने उसे आतंकवादी घोषित कर रखा है। इस मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी 2025 को होगी।
अर्श डल्ला को 28 अक्टूबर 2023 को कनाडा में गिरफ्तार किया गया था। उसके खिलाफ कई आरोपों के चलते भारत सरकार उसकी गिरफ्तारी और समर्पण को लेकर कनाडाई अधिकारियों के साथ बातचीत कर रही थी। हालांकि, इससे पहले ही उसे जमानत मिल गई। गौर करने योग्य बात यह है कि डल्ला को कनाडा के मिल्टन शहर में एक शूटआउट के दौरान गोली लगी थी, जिसमें उसका साथी गुरजंट सिंह भी घायल हुआ था। कनाडा की पुलिस ने उस मामले में 11 आरोप लगाए थे और 29 अक्टूबर को घोषणा की कि उन्होंने दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, हालांकि उन संदेहियों की पहचान तुरंत उजागर नहीं की गई।
अर्श डल्ला के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई गंभीर आरोप हैं, जिनमें हत्या, जबरन वसूली, और आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता शामिल हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2022 में उसे आतंकी घोषित किया था और यह कहा गया था कि वह खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) के लिए ऑपरेटिव के रूप में कार्य कर रहा है। अर्श पर आरोप लगाया गया है कि वह कई जघन्य अपराधों में शामिल रहा है और पाकिस्तान से जुड़े हथियारों और ड्रग्स की तस्करी में संलिप्त है।
अर्श के गिरोह में 300 से अधिक सक्रिय सदस्य हैं, जो उसका डॉक्ट्रिन और दिशा-निर्देशों का पालन करते हैं। जानकारी के अनुसार, अर्श डल्ला और उसके सहयोगियों ने भारत में आतंक फैलाने के प्रयास में कई लोगों की हत्या की है और सांप्रदायिक मुद्दों को बढ़ावा देने के लिए काम किया है। पंजाब पुलिस के रिकॉर्ड के मुताबिक, अर्श के आतंकवादी घोषित होने के बाद, उसके 60 से ज्यादा साथियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनसे बड़ी संख्या में हथियार बरामद हुए हैं।
अर्जित स्थिति में, खालिस्तान टाइगर फोर्स का संचालन अब बहुत हद तक अर्श डल्ला के हाथों में है, खासकर खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद। इस मामले में कनाडा और भारत के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान ठप हो गया है, जिससे अर्श के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और अधिक जटिल हो गई है। अगले सुनवाई के दिन का इंतजार अब दोनों देशों की निगाहों में है, जबकि अर्श डल्ला के खिलाफ मामले को हल करना आवश्यक होगा ताकि आतंकवाद के इस खतरे को समाप्त किया जा सके।