गाज़ियाबाद : लॉकडाउन के चलते जिला प्रशासन द्वारा स्कूल संचालकों को फीस वसूली के लिए दबाव ना बनाने के संबंध में दिए गए पूर्व आदेश से पैदा हुए भ्रम की स्थिति के बीच अब यह साफ हो गया है कि अभिभावकों को अपने बच्चों की फीस जमा करनी ही पड़ेगी। वह चाहे अब जमा करें या कुछ दिनों बाद। डीआईओएस के एक आदेश से अब यह तो साफ हो ही गया है कि अभिभावकों को फ़ीस में कोई छूट नहीं मिलने वाली। ऐसे में अभिभावक अब थोड़ी थोड़ी करके ही सही, फीस जमा कर देने में ही अपनी भलाई समझ रहे हैं और अपने आप को मानसिक रूप से तैयार भी कर रहे हैं।
दरअसल डीआईओएस ने इस बाबत एक दिशा निर्देश जारी किया है जिसमें उन्होंने लिखा है कि जो अभिभावक फीस जमा करने में सक्षम है उन्हें फीस जमा कर देनी चाहिए। इस आदेश से साफ है कि जिला प्रशासन भी स्कूल की फीस रोकना नहीं चाह रहा है, क्योंकि स्कूल संचालकों की अपनी परेशानियां है और एक स्कूल से सैकड़ों जरूरतमंद लोगों के हित जुड़े हुए हैं। जिनमें टीचर्स, स्कूल वैन ड्राइवर, सफाई कर्मचारी, मेंटेनेंसकर्मी, माली, वेन्डर सहित तमाम लोग शामिल है। प्रशासन जानता है कि यदि स्कूल संचालकों को लंबे समय तक फीस नहीं मिली तो फिर उसका असर जिले के हजारों स्कूलों में अध्यापन व नौकरी कर रहे हैं लाखों लोगों और उनके परिवार पर पड़ेगा। यही वजह है कि जिला विद्यालय निरीक्षक ने पत्र लिखकर अभिभावकों से निवेदन किया है कि जो लोग फ़ीस जमा कर पाने में सक्षम है उन्हें फीस जमा कर देनी चाहिए।
जिला विद्यालय निरीक्षक ने यहां एक छूट भी दी है कि वह फ़ीस बजाए क्वार्टरली जमा करने के मासिक शुल्क के रूप में जमा कर सकते है। डीआईओएस ने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि फीस माफी के संबंध में शासन स्तर से कोई आदेश नहीं दिया गया है और ना ही जिला प्रशासन ने फीस माफी जैसा कोई निर्णय लिया है। यानी साफ है कि न तो शासन और न तो जिला प्रशासन, फीस माफी के संबंध में कोई योजना बना रहा है और ना ही वह चाहता है कि स्कूलों की फीस रुके। ऐसी स्थिति में साफ है कि फीस तो जमा करनी पड़ेगी ही पड़ेगी, चाहे अब करें या तब।