कपूरथला: संत सीचेवाल की मेहनत से बुड्ढा दरिया की सफाई में नई उम्मीद जगाई!

Share

कपूरथला के निर्मल कुटिया सीचेवाल में संत लाल सिंह जी की 47वीं पुण्यतिथि के अवसर पर एक विशेष आयोजन किया गया, जिसमें पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां ने प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने जिक्र किया कि संत बलबीर सिंह सीचेवाल द्वारा बुड्ढा दरिया की सफाई के प्रयासों की प्रशंसा की गई, यह बताते हुए कि पहले भी कई बार सफाई के प्रयास किए गए थे, किंतु सफलता नहीं मिल पाई। अब संत सीचेवाल की मेहनत से यह उम्मीद जगी है कि लुधियाना का बुड्ढा नाला शीघ्र ही एक स्वच्छ जलधारा में तब्दील हो जाएगा।

स्पीकर संधवां ने चिंता जताई कि लुधियाना की फैक्ट्रियों और डेयरी से निकलने वाला दूषित जल मालवा और राजस्थान के 12 जिलों तक पहुंच रहा है। यह प्रदूषित पानी बुड्ढा दरिया में घातक रसायनों के मिश्रण के कारण जलचर जीवों और मानव जीवन के लिए खतरा बन रहा है। उन्होंने संत सीचेवाल के कामों का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने 165 किलोमीटर लंबी पवित्र वेई नदी को साफ कर एक अद्वितीय मिसाल प्रस्तुत की है, और अब बुड्ढा दरिया की सफाई से लोगों में आशा की नई किरण जगी है।

इस अवसर पर संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि संत लाल सिंह का जीवन अत्यंत साधारण था। वे प्रकृति प्रेमी थे और जल का बहुत संयम से उपयोग करते थे। संत सीचेवाल ने संसद में पेश की गई रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि पंजाब के 23 जिलों में से 20 जिलों के भूमिगत जल में खतरनाक धातुएं पाई गई हैं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि पंजाब का अस्तित्व पानी पर निर्भर है, इसलिए जल संरक्षण करना अत्यंत आवश्यक है।

इस विशेष कार्यक्रम में दूर-दूर से आए संत महापुरुषों ने संगतों को गुरबानी से जोड़ा और संत लाल सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। संत अवतार सिंह ने यादगारी नर्सरी से संगतों को निःशुल्क पौधों का प्रसाद वितरित किया और गुरु के लंगर को भी विस्तृत किया गया। कार्यक्रम में संत अवतार सिंह यादगारी स्कूल के बच्चों ने रस भिन्नना कीर्तन प्रस्तुत किया। मंच पर सचिव की भूमिका संत सुखजीत सिंह और कुलविंदर सिंह ने बखूबी निभाई।

इस आयोजन में संत अमरीक सिंह जी खुखरैन, संत गुरमेज सिंह सैद्राणा, और अन्य कई रवीश संत शामिल हुए। पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से आए सिख चिंतकों, सदस्यों और सरपंचों की बड़ी संख्या में उपस्थिति रही, जिसने इस कार्यक्रम को श्मशान कर दिया। इस प्रकार, संत लाल सिंह की पुण्यतिथि ने जल संरक्षण के महत्व को फिर से उजागर किया और लोगों में एकजुटता की भावना को बल दिया।