जालंधर| रमजान उल मुबारक का आधा महीना बीत चुका है और इस महीने का 16वां रोजा अब मुस्लिम समुदाय द्वारा सोमवार, 17 मार्च को रखा जाएगा। रमजान का यह पवित्र महीना इस समुदाय में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह एक ऐसा फर्ज है, जिसे सभी उम्र के लोग, बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, पूरे महीने भर रोजा रखकर अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। रोजा सुबह सहरी के साथ आरंभ होता है और शाम को इफ्तारी के साथ समाप्त होता है। रमजान का ये विशेष अवसर रविवार, 2 मार्च से शुरू हुआ था और इस दौरान पूरे महीने भर रोजा रखा जाने का सिलसिला जारी रहेगा।
रमजान के इस महीने में पांच वक्त की नमाज अदा करने के साथ-साथ हर रात को ईशा की नमाज के बाद तराबीह की नमाज भी अदा की जाती है। जालंधर की सभी प्रमुख मस्जिदों में तराबीह की नमाज का आयोजन धूमधाम से किया जा रहा है, वहीं कई लोग अपने घरों में ग्रुप बनाकर भी यह पवित्र नमाज पढ़ने में जुटे हैं। रमजान का अर्थ सिर्फ भूखे रहना नहीं है, बल्कि इसे आत्मा के शुद्धिकरण का अवसर माना जाता है। इस दौरान आंखों, कानों और मुंह के लिए भी रोजा रखना जरूरी होता है। इसका अर्थ है कि आंखों से बुराई नहीं देखनी, कानों से बुरा नहीं सुनना और मुंह से किसी के बारे में बुरी बात नहीं करनी चाहिए।
रमजान के पूरे महीने को 30 रोजों में बांटा गया है, जो तीन प्रमुख हिस्सों में विभाजित है। पहले अशरा (10 दिन) को रहमत का समय कहा जाता है, दूसरे अशरा (10 दिन) को बरकत की अवधि माना जाता है, और तीसरा अशरा (10 दिन) मगफिरत के लिए समर्पित होता है। रमजान के इस पवित्र अवसर के प्रत्येक रोजे का विशेष महत्व है, और 16वां रोजा इस कारण से खास माना गया है कि यह ईमान की मजबूती की ओर इशारा करता है।
सोलहवें रोजे तक, अल्लाह की मेहरबानी अपने अनुग्रह से अपने समस्त बंदों तक पहुंचने लगती है। इस अवधि में अल्लाह रोजेदारों पर नवाज़िशें बरसाते हैं। सही तरीके से रखा गया रोजा रोजेदारों के लिए अल्लाह की ओर से मगफिरत की मंजूरी होती है। रोजा ना केवल भूखे रहने की प्रक्रिया है, बल्कि यह ईमान की मजबूती और मगफिरत का एक शानदार अवसर भी है। इसलिए, रमजान का यह महीने विशेष रूप से आत्मा की शुद्धि, परोपकार और अपने गुनाहों की माफी के लिए समर्पित रहता है।
इस प्रकार, रमजान उल मुबारक का यह महीना केवल आध्यात्मिकता का समय नहीं है, बल्कि यह समाज में भाईचारा, एकता और सहयोग का प्रतीक भी है। सभी मुस्लिम समुदाय के लोग इस महीने को मनाने में जुटे हैं और एक-दूसरे के प्रति सद्भावना एवं प्रेम का प्रदर्शन कर रहे हैं।