मशरूम उत्पादन के लिए किसानों को किया गया प्रशिक्षित
चतरा, 23 दिसंबर (हि.स.)। कृषि विज्ञान केन्द्र, चतरा में आर्या परियोजना के तहत जिले के पत्थलगडा और गिद्धौर प्रखण्ड के करीब 70 किसानों को मशरूम उत्पादन विषय पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण का उद्घाटन वैज्ञानिक धर्मा उरांव ने सोमवार को किया।
मौके पर प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए वैज्ञानिक ने कहा कि मशरूम उत्पादन कर किसान स्वरोजगार से जुड़ेंगे। वे दूसरे को भी रोजगार का अवसर दे सकते हैं। उन्होंने मशरूम उत्पादन करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि मशरूम उत्पादन से आमदनी में वृद्धि होगी। उन्होनें ने मशरूम के गुण एवं उसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व के बारे में विस्तार से किसानोें को बताया।
उन्होनें कहा कि मशरूम की खेती के लिए वानस्पतिक प्रवर्धन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। एक किलो मशरूम बीज से करीब 10 से 15 किलोग्राम बटन मशरूम उगाया जा सकता है। मशरूम की खेती के लिए साफ सफाई काफी जरूरी है। खाद बनाने से पहले ही खाद बनाने के प्रांगण में दो प्रतिशत फॉर्मेलिन का छिड़काव करना चाहिए। उन्होनें कहा कि मशरूम उगाने के लिए वानस्पतिक प्रवर्धन तकनीक का प्रयोग किया जाता है। उन्होंने बताया कि सर्वप्रथम शुद्ध कवक जाल संवर्धन बनाया जाता है और फिर उसे उबले हुए गेंहू बाजराए ज्वार, राई आदि के दानों पर उगाया जाता है। इस प्रकार से तैयार किये गये संवर्धन को ही मशरूम बीज और स्पॉन के नाम से जाना जाता है।
प्रशिक्षण में वैज्ञानिक विनोद कुमार पाण्डेय ने किसानोें को बताया कि वर्तमान परिदृश्य में मशरूम की खेती छोटे किसानों और भूमिहीन किसानों के लिए आय सृजन का अच्छा स्रोत हो सकता है। साथ ही मशरूम पोषण का समृद्ध स्रोत है जो प्रतिरक्षा को बढ़ाता है। प्रशिक्षण के बाद किसानों को मशरूम उत्पादन से संबंधित उपादान का वितरण भी किया गया। प्रशिक्षण में कृषि विज्ञान केन्द्र चतरा के शिवेन्द्र कुमार दूबे, उपेन्द्र कुमार सिंह, मो. जुनैद आलम, रूपलाल कुमार भोक्ता ने अहम भूमिका निभाई।
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