आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर से पांडुकेश्वर को रवाना

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25HREG113 आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर से पांडुकेश्वर को रवाना

-27 को खुलेंगे बदरीनाथ धाम के कपाट

गोपेश्वर, 25 अप्रैल (हि.स.)। जोशीमठ नृसिंह मंदिर से मंगलवार को आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी पूजा अर्चना के बाद पांडुकेश्वर के लिए रवाना हो गई है। इस अवसर पर धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी को भोजपत्र पर तैयार की गई केली ग्राफी युक्त प्रतीक चिह्न भी भेंट किया गया। 27 अप्रैल को प्रातःकाल भगवान बदरीनाथ के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जायेंगे।

भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने से पूर्व की पारंम्परिक प्रक्रिया के तहत जय बदरी विशाल के जयघोष और भारतीय सेना की मधुर बैंड की धुनों के साथ आदिगुरु शंकराचार्य की पवित्र गद्दी और धाम के मुख्य पुजारी रावल नृसिंह मन्दिर जोशीमठ से पांडुकेश्वर के लिए हुए रवाना हो गये है। मंगलवार को नृसिंह मंदिर में वैदिक पूजा-अर्चना संपन्न होने के पश्चात बदरीनाथ धाम से जुड़े स्थानीय हक-हकूकधारी रेंकवाल पंचायत की अगुवाई में आदिगुरु शंकराचार्य की गद्दी और बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वर प्रसाद नंबूदरी योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना हो गए हैं।

इस अवसर पर स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल जी को पवित्र भोज पत्र से तैयार केलीग्राफी युक्त प्रतीक चिन्ह भी भेंट कर रावल का आशीर्वाद प्राप्त किया। महिलाएं बुधवार को मुख्य पुजारी रावल के साथ सभी देव डोलियां बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेंगी। नृसिंह मंदिर से पांडुकेश्वर रवाना होने से पूर्व देव डोलियों के पूजन के साथ नृसिंह मंदिर में इस दौरान स्थानीय महिला मंगल दल से जुड़ी महिलाओं ने पारंपरिक मांगल गीत गाए और देव यात्रा को पुष्प वर्षा के साथ विदा किया।

इस दौरान जय बदरीनाथ के जयघोष से भगवान नृसिंह की नगरी जोशीमठ गुंजायमान हो उठी। इसके साथ ही गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा भी बदरीनाथ धाम के लिए रवाना हो गया है। जिसके बाद 27 अप्रैल को सुबह ब्रह्ममुहुर्त में बदरीनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं को खोल दिए जाएंगे।