प्रदेश में आंगनबाडी केन्द्रों और कुपोषण की स्थिति पर श्वेत-पत्र जारी करें राज्य सरकार: डॉ गोविन्द सिंह

Share

भोपाल, 31 मई (हि.स.)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आंगनबाडिय़ों के लिए सडक़ों पर ठेला लेकर खिलौने एकत्रित कर रहे हैं और जनता से जनसहयोग की मांग कर रहे हैं। तो वही दूसरी तरफ कांग्रेस ने सरकार को घेरने के लिए अब आंगनबाडिय़ों को ही जरिया बनाने की योजना बनाई है। इसी क्रम में मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविन्द सिंह और क्षेत्रीय विधायक पी.सी. शर्मा ने मंगलवार को शहर की समस्या ग्रस्त आंगनबाड़ी केन्द्रों का औचक निरीक्षण किया। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि प्रदेश की समस्याग्रस्त आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं कुपोषण की स्थिति पर श्वेत पत्र जारी कर प्रदेश की जनता को वस्तुस्थिति से अवगत कराएं।

नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने मंगलवार को राजधानी के वार्ड क्रमांक 28 में स्थित डॉ. अम्बेडकर नगर के आंगनबाड़ी केन्द्र 744 एवं 738 का औचक निरीक्षण किया। यहां उन्होंने आंगनबाडी केन्द्रों में मापदण्ड के अनुसार मूलभूत सुविधायें का अभाव देखा साथ ही ये आंगनबाडिय़ां जर्जर भवन में संचालित होती है। निरीक्षण के बाद डॉ गोविन्द सिंह ने कहा कि राजधानी भोपाल में आंगनबाड़ी केन्द्रों की यह दुर्दशा है तो प्रदेश की अन्य आंगनबाडी/ मिनी आंगनबाडी केन्द्रों की स्थिति क्या होगी? यह गंभीर चिंताजनक है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ग्रामीण क्षेत्रों के आंगनबाडी केन्द्रों की स्थिति कितनी दयनीय होगी।

डॉ. सिंह ने कहा कि अभी हाल में जारी इंटीग्रेटेड चाइल्ड डेवलपमेंट की रिर्पोट के अनुसार प्रदेश की 97 हजार 735 में से 32 हजार आंगनबाडी केन्द्रों में शौचालय नही है। वहीं 17 हजार से अधिक आंगनबाडी केन्द्रों में पीने के पानी की व्यवस्था नही है और 8 हजार 600 से अधिक केन्द्रों में बच्चों को खाना खाने के लिये थाली, ग्लास एवं चम्मच आदि उपलब्ध नहीं है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश की आंगनबाडी केन्द्रों में 8 लाख 07 हजार 558 गर्भवती महिलायें पंजीकृत हैं, लेकिन 9 हजार 335 महिलायें आती ही है। इसी तरह से धात्री माताएं भी 7 लाख से अधित पंजीकृत है। लेकिन लाभान्वित मात्र 9 हजार के लगभग ही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 16 हजार आंगनबाडी केन्द्र कच्चे भवन में संचालित है और लगभग 26 हजार किराये के भवन में तथा 778 कार्यकर्ताओं के भवन में संचालित हो रहे हैं।

डॉ. सिंह ने कहा कि आंगनबाड़ी महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत आता है जो वर्तमान में मुख्यमंत्री के पास है, बावजूद उसके प्रदेश में कुपोषण की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। कुपोषण पर श्वेत पत्र जारी करने की बात विधान सभा के अन्दर एवं विभाग की समीक्षा बैठक में कही गई थी, किन्तु आज तक श्वेत पत्र जारी करने का साहस नही सरकार नहीं जुटा पायी। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद भी पोषण आहार का कार्य महिला स्व-सहायता समूह को न देकर पोषण आहार माफियाओं द्वारा संचालित किया जा कर माफियों को उपकृत किया जा रहा है। परिणामस्वरूप पोषण आहार माफिया अरबपति बन बैठे हैं।

डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि प्रदेश को डेढ़ वर्ष में कुपोषण मुक्त किया जायेगा। विगत 17 वर्षो में यह चिन्ता मुख्यमंत्री जी ने क्यों नही की? पोषण आहार का कार्य आजीविका मिशन के अन्तर्गत स्व-सहायता समूह के माध्यम से कराया जा रहा है किन्तु इन समूहों को पोषण आहार की सप्लाई किनके द्वारा की जा रही, इसकी जांच होना चाहिये। वर्ष 2019-20 में 94 करोड़ रूपए के खिलौने खरीदे गये, किन्तु आंगनबाड़ी केन्द्रों में उपलब्ध नही कराये गये है, यह चिन्ताजनक एवं जांच का विषय है। नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि प्रदेश की समस्याग्रस्त आंगनबाड़ी केन्द्रों एवं कुपोषण की स्थिति पर श्वेत पत्र जारी कर प्रदेश की जनता को वस्तुस्थिति से अवगत कराएं।