गाजियाबाद। पीएम जनकल्याण योजना प्रचार प्रसार अभियान के व्यापारी प्रभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष व भाजपा अल्पसंख्यक के प्रभारी पंकज शर्मा उर्फ प्रदीप ने बताया कि आज यह माना जा रहा है कि इस साल का बजट चमत्कारी होगा, क्योंकि देश जिन मुसीबतों में से इस साल गुजरा हैं, वे असाधारण हैं। स्वाभाविक है कि देश की तात्कालिक आर्थिक और वित्तीय स्थिति को सम्हालने की भरपूर कोशिश इस बजट में की गयी लेकिन क्या यह मौका ऐसा नहीं है, जब देश में सच्चे समाजवाद की नींव मजबूत कर दी जाए।
हमारे संविधान में समाजवाद शब्द 1976 में जरुर जोड़ा गया लेकिन आज भी भारत में वर्गवाद, भद्रलोकवाद और कुलीनवाद चला आ रहा है। साधारणजन और भद्रलोक की दो दुनिया अलग-अलग बसी हुई हैं। साधारणजन भारत में रहते हैं और भद्रलोक रहते है, इंडिया में। भारत और इंडिया के बीच खड़ी इस अभेद्य दीवार को जो भेद सके,वही बजट असाधारण कहला सकता है। यह कैसे होगा ? यह तभी हो सकता है कि जबकि भारत के 140 करोड़ नागरिकों को पांच चीजें लगभग अयत्नसिद्ध हों। इन्हें प्राप्त करने के लिए उन्हें कोई विशेष यत्न न करना पड़े। कौनसी हैं, ये पांच चीजें ? रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और चिकित्सा ।
इंसान को इंसान बने रहने के लिए कम से कम ये पांच चीजें तो चाहिए ही ! राज्य नामक संस्था का प्रथम कर्तव्य है कि वह अपने हर नागरिक के लिए इनका इंतजाम करे। यदि वह न कर सके तो उसे राज्य कहलाने का क्या अधिकार है ।