Ghaziabad : लॉकडाउन में सुधरी एयर क्वालिटी, दिल्ली एनसीआर में AQI लेबल 100 से कम

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गाजियाबाद :- कोविड -19 (कोरोना वायरस)संक्रमण से बचने के लिए घोषित लॉकडाउन में जहां लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं और उन्हें सामान्य जीवन जीने में समस्या हो रही हैं वहीं उन्हें सौ साल  बाद इतनी स्वच्छ एवं खुली हवा में सांस लेने का वरदान मिल रहा है। दिसम्बर माह के दौरान जिन शहरों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (ए क्यू आई )का लेबल 500से ऊपर क्रॉस कर गया था, आज लॉकडाउन के कारण एक्यूआई लेबल अधिकतम 82 है। यानि एक तरफ कोरोना से सांस की डोर टूटने पर आमादा है तो दूसरी ओर  स्वच्छ हवा मिल रही है। विशेषज्ञों का का कहना है कि लोगों को घरों के अंदर रहकर इस कुदरत की अनमोल नियामत का आनंद लेना चाहिए इससे उनको कोरोना के संक्रमण से लड़ने में मदद भी मिलेगी। उनका यह भी कहना है कि प्रकृति से खिलवाड़ अब बंद होना चाहिए। 

गुरुवार की सुबह को रिकॉर्ड किए गए एक्यूआई लेबल पर नजर डालें तो एनसीआर व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसी भी जिले में 100 तक नहीं पहुंचा सका है। यह एक्यूआई दिल्ली में 74, गाजियाबाद में 72, फ़रीदाबाद में 70, गुरुग्राम में 57, सोनीपत में 80, ग्रेटर नोएडा में 82, हापुड़ में 87, मेरठ में 83, नोएडा में 68 तथा बुलंदशहर में 82 रहा। इसकी वजह लॉकडाउन ही है चूंकि लॉकडाउन के दौरान वाहन, उद्योग आदि बंद पड़े हुए हैं ।जिस कारण प्रदूषण ख़त्म हो गया है, और लोग खुली हवा में सांस ले रहे हैं। साथ ही आसमान स्वच्छ व साफ दिख रहा है। रात में चांद और तारे खूब नजर आ रहे हैं जो हम लम्बे समय से देखने से महरूम थे।  पर्यावरण सचेतक समिति के राष्ट्रीय संस्थापक सदस्य विजय पाल बघेल कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान हवा का एक्यूआई लेबल 100 में सबसे बेहतर रहा है। उन्होंने कहा कि आज हम प्रकृति के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं जिसका नतीजा कोरोना जैसे वायरस के रूप में सामने आ रहा है। अब समय आ गया है कि इससे सबक ले और प्रकृति से छेड़छाड़ न करने का प्रण लें तो निश्चित तौर पर सुखद प्रमाण आएंगे । जिला अस्पताल के मनो चिकित्सक डॉ.साकेत तिवारी कहते हैं कि यह बहुत ही सुखद पहलू है कि प्रदूषण काफ़ी कम हो गया है लेकिन लॉकडाउन के कारण लोग इसका बाहर निकलकर मजा नहीं ले सकते लेकिन घरों खिड़की दरवाजे खोलकर इसका मजा लिया सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि दरवाजा, खिड़की किसी दूसरे व्यक्ति के घर की और नहीं खुलता हो । वहीं सोसायटी फॉर एनवायरनमेंट के सचिव आकाश वशिष्ठ कहते हैं कि जिस तरह से लॉक डाउन के दौरान पर्यावरण के स्तर में सुधार आया है उससे अब नया परिदृश्य बनेगा और रिसर्च में मदद मिलेगी ।