अयोध्या मामला : सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील ने खोया आपा, फाड़ा नक्शा, भड़के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई अब अंतिम दौर में है। कोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद संबंधी राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामले में प्रतिदिन हो रही सुनवाई को बुधवार शाम को पूरी कर देगा।

सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने नक्शा रखा जिसके बाद मुस्लिम पक्ष के वकील रजीव धवन ने अपना आपा खो दिया और उन्होंने नक्शा फाड़ा दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सुनवाई के दौरान भड़क गये। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह से बहस चलेगी तो हमारे पास उठकर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा।

सुनवाई के दौरान हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने नक्शा रखा जिसके बाद मुस्लिम पक्ष के वकील रजीव धवन ने अपना आपा खो दिया और उन्होंने नक्शा फाड़ा दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सुनवाई के दौरान भड़क गये। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह से बहस चलेगी तो हमारे पास उठकर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा।

चीफ जस्टिस के द्वारा नाराजगी जताए जाने पर हिंदू महासभा के वकील ने कहा कि मैं पूरे आदर के साथ कहना चाहता हूं कि मैंने कोर्ट की मर्यादा का उल्लंघन नहीं किया है।

आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अब बहुत हो चुक, सुनवाई आज ही यानी 16 अक्टूबर को खत्म कर दी जाएगी। अयोध्या केस की सुनवाई का आज 40वां दिन है। सुनवाई शुरू हुई जिसके बाद एक वकील ने अतिरिक्त समय मांगा जिसपर चीफ जस्टिस ने स्पष्ट कर दिया कि आज शाम 5 बजे अयोध्या मामले की सुनवाई समाप्त हो जाएगी। एक वकील ने मामले में हस्तक्षेप की अपील की तो चीफ जस्टिस ने अपील खारिज कर दी।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि वह पिछले 39 दिनों से अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुनवाई कर रही है और मामले में सुनवाई पूरी करने के लिए किसी भी पक्षकार को आज (बुधवार) के बाद अब और समय नहीं दिया जाएगा। इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं।

कोर्ट ने पहले कहा था कि सुनवाई 17 अक्टूबर को पूरी हो जाएगी। अब इस समय सीमा को एक दिन पहले कर दिया गया है। प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल 17 नवंबर को समाप्त हो रहा है। पीठ ने सुनवाई में हस्तक्षेप की एक पक्षकार की याचिका को भी खारिज कर दिया और कहा कि सुनवाई के इस चरण पर अब किसी हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी जाएगी। हिंदू पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्यनाथन ने 1961 में सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा दायर मुकदमे के जवाब में अपना अभ्यावेदन आरंभ किया।

उल्लेखनीय है कि संविधान पीठ अयोध्या में 2।77 एकड़ विवादित भूमि को तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला- के बीच बराबर बराबर बांटने का आदेश देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रही है।