श्मशान घाट में दबी मिली बच्ची, इलाज के बाद हालत में आया सुधार

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बरेली। रामायण में माँ सीता का प्रादुर्भाव धरती से बताया गया है। यद्यपि वो द्वापर युग की बात है परन्तु आज हम आपको कलियुग की सीता के बारे में बताने जा रहे हैं। जी हाँ! अज्ञात लोगों द्वारा एक नवजात बच्ची को श्मशान भूमि में ज़िंदा दफनाने का मामला सामने आया है। एसएसपी के आदेश के बाद पुलिस आरोपियों की तलाश में जुट गई है।

चार दिन पहले सिटी श्मशान घाट में अपनी मृत बच्ची को दफनाने गए सीबीगंज में रहने वाले एक व्यवसायी को सीता जमीन में एक घड़ा मिला। दरअसल अपनी मृत बच्ची को दफनाने के लिए गड्ढा खोदने के लिए उन्होंने जब फावड़ा चलवाया तो फावड़ा इत्तफाक से एक घड़े से टकराया। इसके साथ बच्ची के रोने की आवाज आई तो उसे सावधानी से बाहर निकाला गया।

सीता’ की जिंदगी के चार दिनों की इस कहानी के बाद दूसरा पहलू अस्पताल का है जहां उसका इलाज चल रहा है। बिथरी विधायक पप्पू भरतौल ने इस मासूम के सिर पर हाथ रखा तो उसकी जिंदगी बचने की उम्मीद और बढ़ गई। बच्ची का इलाज कर रहे डॉ. रवि खन्ना के मुताबिक शरीर में मौजूद ब्राउन फैट ने चार दिन तक उसकी जिंदगी बचाए रखी। उसकी हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। 

डॉक्टरों के मुताबिक जमीन के अंदर चार दिन दबे रहने के बावजूद बच्ची के शरीर में मौजूद ब्राउन फैट ने उसे जिंदा रखा। हालांकि यह भी किसी चमत्कार से कम नहीं है। चार दिन घड़े में पड़े रहने की वजह से उसके शरीर पर इंफेक्शन जरूर फैल गया है। ब्राउन फैट नष्ट होने से पेट और गालों पर झुर्रियां भी पड़ गई हैं। 

सिर्फ नवजात बच्चों में होता है ब्राउन फैट

नवजात बच्चों के शरीर के किसी भी अंग की तुलना में ब्राउन फैट 300 गुना ज्यादा गर्मी पैदा करने की क्षमता रखती है। ये चर्बी पेट, गाल और जांघ पर होती है। भीषण सर्दी में भी यह बच्चों को मौत से बचाती है। 

आहार न मिलने की स्थिति में यही फैट जीवन बचाता है, कैलोरी को जलाकर काफी गर्मी पैदा करता है। जब बच्चा पैदा होता है तो उसके शरीर में काफी ब्राउन फैट होता है जो उसके मुख्य अंगों को चारों तरफ से घेरे रहता है और उसे गर्मी देता है।

उम्र बढ़ने के साथ शरीर में ब्राउन फैट कम होने लगता है। डॉ. रवि खन्ना के मुताबिक ब्राउन फैट ने ही बच्ची को जिंदा रखा। उसके शरीर पर झुर्रियां भी इलाज से सही हो सकती हैं। 

दो सौ ग्राम बढ़ा वजन

सीता को जब घड़े से निकाला गया था तब उसका वजन एक किलो ही था। अब उसका वजन दो सौ ग्राम बढ़ गया है। शरीर में सेप्टिसीमिया इंफेक्शन है। बच्ची के रक्त की जांच में टोटल ल्यूकोसाइट्स काउंट (टीएलसी) 19500 निकला है जो सामान्यत: 11000 होना चाहिए। टीएलसी का कम या ज्यादा होना घातक होता है। 

एसएसपी के आदेश पर रिपोर्ट दर्ज

बच्ची को श्मशान में कौन और कब दबा गया, पुलिस ने अब तक इसकी सुध लेने की कोशिश नहीं की। एसएसपी के आदेश पर अब सुभाषनगर पुलिस ने सोमवार को अज्ञात आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट लिख ली है। पुलिस अब बच्ची को जमीन में गाड़ने वालों की तलाश करेगी। माना जा रहा है कि यह पाप उसके मां-बाप ने ही किया होगा।