पंजाब राज्य में 6 दिसंबर को सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की गई है, जिसका उद्देश्य गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस को मनाना है। इस दिन राज्य के सभी स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालय, बोर्ड, निगम और अन्य संस्थान बंद रहेंगे। यह निर्णय पंजाब सरकार द्वारा लिया गया है, जिसके चलते राज्य के नागरिकों के लिए इस खास अवसर को महत्व दिया जाएगा। इससे पहले चंडीगढ़ प्रशासन ने भी 6 दिसंबर को छुट्टी का ऐलान किया था, जिससे यह स्पष्ट है कि यह दिन सिख समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है।
गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म के 9वें गुरु थे, जिन्हें उनके अद्वितीय साहस और त्याग के लिए हमेशा याद किया जाता है। उनका जन्म 1 अप्रैल, 1621 को अमृतसर में गुरु हरगोबिंद और माता नानकी के घर हुआ था। उनका जन्म नाम ‘त्याग मल’ था, लेकिन अपने साहसिक कार्यों और बलिदान के चलते उन्हें ‘तेग बहादुर’ की उपाधि प्राप्त हुई, जिसका अभिप्राय है ‘तेज तलवार के धनी’। गुरु जी का जीवन न केवल धार्मिक स्वतंत्रता के लिए संघर्ष का प्रतीक रहा है, बल्कि यह मानवता की सुरक्षा के लिए उनके प्रयासों का भी प्रमाण है।
गुरु तेग बहादुर जी ने अपने समय में अत्याचारों के खिलाफ उठ खड़े होने का साहस दिखाया। जब मुगल शासक औरंगजेब ने हिंदू धर्म को समाप्त करने के अभियान की शुरुआत की और लोगों को जबरदस्ती धर्मांतरण के लिए मजबूर किया, तो गुरु जी ने इन अत्याचारों का खुलकर विरोध किया। 1675 में, जब कश्मीरी पंडितों ने गुरु जी से सहायता मांगते हुए अपनी पीड़ा साझा की, तब गुरु जी ने उनके संघर्ष का समर्थन किया। उन्होंने ना केवल उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के लिए खड़े होने का निर्णय लिया बल्कि अपने सिद्धांतों के लिए अंतिम बलिदान देने की भी प्रेरणा दी।
गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान धार्मिक स्वतंत्रता और मानवता की रक्षा के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गया है। उनका योगदान न केवल सिख धर्म बल्कि समस्त मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उनके बलिदान को हम केवल एक धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि एक मानवतावादी प्रेरणा के रूप में भी देख सकते हैं। इसी कारण से, पंजाब में 6 दिसंबर का दिन चिह्नित किया गया है, ताकि इस महान आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की जा सके और उनके सिद्धांतों का पालन किया जा सके।
इस विशेष दिन पर, लोग विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे और गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाओं को फैलाने का प्रयास करेंगे। ये कार्यक्रम न केवल सिखों के लिए, बल्कि समस्त समुदाय के लिए उनकी विरासत को समझने और अपनाने का अवसर देंगे। इस तरह, 6 दिसंबर का दिन पंजाब में न केवल एक छुट्टी के रूप में, बल्कि एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में मनाया जाएगा, जो गुरु जी की teachings को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य करेगा।