ग्वालियर: बुधवार को विराजेंगे भगवान गणपति जी, शहर में रहेगी गणेश उत्सव की धूम

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18HREG425 ग्वालियर: बुधवार को विराजेंगे भगवान गणपति जी, शहर में रहेगी गणेश उत्सव की धूम

ग्वालियर, 18 सितम्बर (हि.स.)। गणेश उत्सव की शुरूआत 19 सितंबर मंगलवार से होने जा रही है। इस दौरान भगवान गणपति जी शहर के पंडालों, घरों, संस्थानों, गली-मौहल्लों आदि स्थानों में गाजे-बाजे और धूमधाम के साथ विराजित होंगे। शहर में दस दिनों तक गणेश उत्सव की धूम भी देखने को मिलेगी। वहीं सोमवार से लोगों ने गणेश प्रतिमा और पूजन की सामाग्री आदि खरीदना भी शुरू कर दिया है। इस दौरान थीम रोड, नई सड़क और फूलबाग आदि स्थानों पर खरीदारों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिली। इस बार सबसे अधिक पर्यावरण के अनुरूप इको फ्रेंडली गणेश जी की मांग अधिक है। वहीं पंडालों को सजाने का काम भी जोर-शोर से चल रहा है। इस उत्सव के लिए गणेश मंदिर भी सज चुके हैं। श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर पर गणेश उत्सव के लिए आकर्षक विद्युत सजावट भी की गई है।

बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी के अनुसार श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न काल के स्वाति नक्षत्र सिंह लग्न में हुआ था। दस दिनों तक चलने वाला गणेश उत्सव 19 सितंबर से प्रारंभ होकर 28 सितंबर तक चलेगा। इस दिन रवि योग के साथ वैधृति योग और दूसरा स्वाति नक्षत्र उसके बाद विशाखा नक्षत्र शुरू होकर देर रात तक रहेगा। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी का आरंभ 18 सितंबर दोपहर 12:39 से 19 सितंबर दोपहर 1:45 तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस दिन भद्रा भी रहेगी। भद्रा का आरंभ सुबह 6:04 से दोपहर 1:45 तक रहेगा। लेकिन भगवान गणेश का एक नाम विघ्न विनाशक भी है और पाताल लोक की भद्रा है। इसलिए गणेश स्थापना भाद्र की वजह से प्रभावित नहीं होगी। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि गणेश चतुर्थी के दिन यदि जातक चंद्रमा के दर्शन करते हैं तो यह शास्त्रों में निषेध है। इस दिन चंद्रमा को देखने वाले जातक को झूठी, चोरी का कलंक लगता है। इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन ना करें। दर्शन न करने का समय सुबह 9:45 से रात्रि 8:45 बजे तक है।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार श्री जी की स्थापना के दौरान दिशाओं का विशेष महत्व है। सही दिशा में भगवान गणेश की स्थापना करने से जातकों की समस्त परेशानियां दूर हो जाती हैं। सुख समृद्धि बढ़ती है और गलत दिशा में श्रीजी स्थापना करने से जीवन में उनके नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि गणेश जी की स्थापना पूरब दिशा में करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। उत्तर दिशा में करने से लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही उनके आर्थिक संकट नष्ट होते हैं। पश्चिम दिशा में करने से जातकों की समस्त समस्याओं का नाश होता है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि गणेश जी की स्थापना दक्षिण दिशा में नहीं करना चाहिए।

गणेश चतुर्थी पूजन का शुभ समय: ज्योतिर्विद पंचांगकर्ता शशिकान्त मिश्र के अनुसार मंगलवार को प्रतिमा स्थापना का शुभ समय प्रात: 06:02 से 08:30 तक और मध्यान्ह 10:56 से 01:23 बजे तक है। ज्योतिर्विद ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि के दिन सिद्धिविनायक व्रत महोत्सव करते हैं। इस तिथि के मध्यान्ह काल गणेश जी का प्राकट्य हुआ था। इसलिए मध्यान्ह काल 10:56 से 01:23 तक गणेश पूजन तथा उत्सव का समय सबसे शुभ है। घरों में प्रतिमा की स्थापना प्रात: 06:02 से 08:30 तक या अभिजित मुहूत्र्त में करें। यथा संभव मूर्ति की स्थापना घर के ईशाण कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में करें तथा पूजन उत्तराभिमुख होकर करें।