जिला प्रशासन है चिंतित, तेजी से गिर रहा है जलस्तर

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गजियाबाद। जहां आमतौर पर माना जाता है कि 15 जून के बाद मानसून दस्तक दे देता है,लेकिन जुलाई माह का पहला सप्ताह भी बगैर बरसात के बीतने का नतीजा ये है कि नलकूप और हेंडपंप भी अब धोखा देने लगे है। नगर निगम के जलकल विभाग के अधिकारियों की मानें तो पिछले करीब एक माह के भीतर भूमिगत जलस्तर दस फुट तक नीचे चला गया है। ऐसे में अलग से पाइप बढाने पड़ रहे है।

जानकार बताते है कि भूजल स्तर के लगातार नीचे गिरने की वजह भूजल का दोहन होना है। पर्यावरण विद सुशील राघव की मानें तो इससे बडा दूसरा दुर्भाग्य अन्य नहीं हो सकता कि इमारतों के निर्माण तथा वाहनों की धुलाई के दौरान भूजल का दोहन होना है। इसके साथ साथ बडी संख्या में औद्योगिक इकाईयां हर माह लाखों लीटर भूजल का दोहन कर रही है,जबकि जो कभी तालाब हुआ करते थे उनके अस्तित्व को समाप्त कर दिया गया। तालाबों को अस्तित्व में लाने के समय समय पर सुर्पीम कोर्ट,एजीटी के द्वारा आदेश दिए गए,लेकिन उन पर अमल नहीं किया जा रहा है।

श्री राघव ने खुलासा करते हुए कहा कि हाल में जिला स्तर पर गठित कमेटी के द्वारा 34 औ़द्योगिक इकाईयों को भूमिगत पानी के इस्तेमाल की एनओसी दी है। 44 में से ये 34 वह तमाम औद्योगिक इकाईयां है जिसको लेकर उनके द्वारा एनजीटी में चुनौती दी थीं। एनजीटी के द्वारा भी उपरोक्त औद्योगिक इकाईयों पर एक्शन के आदेश दिए थे। प्रशासन को एक्शन लेना है। श्री राघव ने उदाहरण देते हुए खुलासा किया कि डाबर इंडिया समूह के द्वारा केंद्रीय भूजल बोर्ड से जिस वक्त एनओसी हासिल की थीं,उस वक्त फैक्ट्री को मुरादनगर ब्लाक में दिखाया गया था,जबकि इस बार रजापुर ब्लाक में।दशार्या गया है। वास्तविकता में डाबर कंपनी नगर निगम सीमा के अंतर्गत आने वाले साइट चार के अंतर्गत।आती है।

गाजियाबाद क्षेत्र नोटिफाइड एरिया के अंतर्गत आता है। जिसमें भूजल दोहन की एनओसी नहीं दी जा सकती है। हैरत का पहलू ये है कि केंद्रीय भूजल बोर्ड से 24 लाख लीटर पानी पर डे इस्तेमाल की एनओसी हासिल की गई थीं, जबकि अब 27 लाख लीटर पानी पर डे इस्तेमाल की एनओसी प्राप्त की गई है। इसी प्रकार बिस्लरी को भी।रजापुर ब्लाक में दशार्या गया है। केंद्रीय भूजल बोर्ड से 4 लाख 80 हजार लीटर पर डे पानी इस्तेमाल की एनओसी ली गई।थीं,जबकि इस बार चार लाख लीटर पानी पर डे इस्तेमाल की एनओसी जिला स्तरीय कमेटी से हासिल की गई है। उन्होंने बताया कि आरटीआई के माध्यम से उन तमाम औद्योगिक इकाईयों की सूची मांगी गई है जिनके पक्ष में जिला स्तरीय कमेटी के द्वारा एनओसी जारी की गई है।