फाजिल्का में आज संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले शंभू और खनोरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में एक प्रदर्शन आयोजित किया गया। यह धरना फाजिल्का के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय के बाहर आयोजित हुआ, जिसमें विभिन्न किसान संगठन और उनके नेता बड़ी संख्या में शामिल हुए। किसानों ने इस प्रदर्शन के माध्यम से अपनी आवाज उठाई और बार्डर पर मौजूद किसानों की मांगों को सुनने की अपील की। भाकियू कादियां के नेता हरजिंदर सिंह संधू ने कहा कि आज पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान भी इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं, जो कि उनकी एकजुटता को दर्शाता है।
संधू ने चेताया कि केंद्र सरकार ने जिन तीन कृषि कानूनों को पहले वापस लिया था, उन्हें फिर से लागू करने की योजना बना रही है। उन्होंने इसे किसानों के प्रति धक्केशाही का उदाहरण बताया। उनके अनुसार, ये कानून वास्तव में किसान, किरायेदार, और दुकानदार के हितों के खिलाफ हैं, और इसी कारण किसानों में गहरा असंतोष है। वे यह स्पष्ट करते हैं कि केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र को कारपोरेट घरानों को सौंपने की कोशिश कर रही है, जबकि किसान अपनी हक की मांगों के लिए सड़कों पर उतर आए हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।
प्रदर्शनकारियों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि किसान जब आंदोलन कर रहे हैं, तो उनके खिलाफ आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं। संधू ने उल्लेख किया कि शंभू और खनोरी बार्डर पर जो किसान आंदोलन चल रहा है, वह विभिन्न राज्यों और जिलों में किसान संघर्ष का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि उनकी मुख्य मांगें एमएसपी की गारंटी, कृषि कानूनों को रद्द करना और किसान अधिकारों की रक्षा करना हैं।
आज के धरने में जिला प्रशासनिक अधिकारियों को एक मांग पत्र भी सौंपा जाएगा, जिसमें किसानों की मांगों को लेकर स्पष्ट निर्देश और अपेक्षाएँ रखी जाएंगी। प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखना चाहते हैं लेकिन यदि उनकी मांगों की अनदेखी की गई तो वे संघर्ष जारी रखेंगे। इस प्रकार, फाजिल्का का यह प्रदर्शन किसानों की एकता और उनके अधिकारों के प्रति उनकी दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।
इस धरने का उद्देश्य न केवल किसानों की आवाज को उठाना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि उनकी समस्याओं का तत्काल समाधान हो। फाजिल्का में हुए इस प्रदर्शन ने पूरे क्षेत्र के किसानों को एकजुट कर दिया है और उनकी समस्याओं को सरकारी स्तर पर उठाने में मदद की है। किसान नेता संधू ने आशा व्यक्त की कि वर्ष 2023 में उनकी मांगें पूरी होंगी और उन्हें न्याय मिलेगा।