चैन की सांस लेगा बचपन, जब तुरंत पहचानेंगे निमोनिया के लक्षण

Share

वाराणसी, 07 नवम्बर (हि.स.)। मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को संचालित कर रही है। इसी क्रम में जन्म से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों को निमोनिया से बचाव एवं उससे होने वाली मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से ‘सांस’ यानि ‘सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइज़ निमोनिया सक्सेसफुली’ कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है।

एस.आर.एस. 2020 के अनुसार देश में पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर 32 प्रति 1000 जीवित जन्म है, जबकि प्रदेश में शिशु मृत्यु दर 43 प्रति 1000 जीवित जन्म है। नेशनल हेल्थ पॉलिसी वर्ष 2017 के लक्ष्य के अनुसार पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर को वर्ष 2025 तक 23 प्रति 1000 जीवित जन्म तक कम करना है। इसकी समय से पहचान एवं उचित इलाज से ही शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने कहा कि आने वाली सर्दी के दृष्टिगत व जन जागरूकता के लिए हर साल 12 नवम्बर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। समुदाय को जागरूक करने के लिए यह कार्य लगातार जारी है। समस्त ओपीडी (बाह्य रोगी विभाग), आईपीडी (अन्तः रोगी विभाग), पीडियाट्रिक वार्ड व जनरल वार्ड आदि में निमोनिया का ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल उपलब्ध कराया जाए। इसके अलावा आशा कार्यकर्ता के पास आवश्यक दवा उपलब्ध रहे। प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पीएचसी व सीएचसी) पर पल्स-ऑक्सीमीटर द्वारा बच्चों के रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा का पता लगाया जाएगा तथा आवश्यकता पड़ने पर ऑक्सीजन सिलिंडर के प्रयोग से इनका उपचार किया जाएगा। इसके लक्षण दिखने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर डॉक्टर से परामर्श लें। उन्होंने कहा कि सही समय पर निमोनिया की पहचान कर इसका उपचार कराना सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके लिए चिकित्सकों, स्टाफ नर्स, आशा, एएनएम व कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर (सीएचओ) को प्रशिक्षित किया जा रहा है।

समय पर लगवाएं पीसीवी टीका

डिप्टी सीएमओ डॉ. एचसी मौर्य ने बताया कि छह सप्ताह के शिशुओं को पीसीवी की पहली डोज़, 14वें सप्ताह पर दूसरी डोज़ और नौ माह पूर्ण होने पर तीसरी डोज़ सभी सरकारी स्वास्थ्य इकाइयों में लगाई जा रही है। संस्थागत प्रसव के दौरान शिशु के जन्म पर मां का पहला गाढ़ा पीला दूध (कोलेस्ट्रम) पिलाने के लिए प्रेरित करें। जन्म से लेकर छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराने के फायदे के बारे में माँ को जानकारी दें। साथ ही नौ से 12 माह पर, 16 से 24 माह पर और दो से पांच वर्ष के बच्चों को छह-छह माह के अंतराल पर विटामिन ए की खुराक पिलाएं। इसके अलावा जन्म से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों को उम्र के अनुसार सभी टीके जरूर लगवाए।

निमोनिया के लक्षण

खांसी और जुकाम का बढ़ना, तेजी से सांस लेना, सांस लेते समय पसली चलना या छाती का नीचे धंसना, कंपकंपी व तेज बुखार आना, गंभीर लक्षणों में कुछ भी खा पी न पाना, झटके आना सुस्ती या अधिक नींद निमोनिया के लक्षण हैं।

निमोनिया से बचाव

सर्दियों के दौरान बच्चों को गर्म व सामान्य तापमान में रखें, छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराएं। संतुलित व स्वस्थ आहार, अच्छे से हाथ धोएं।