संत रविदास घाट से दो लाख से अधिक छोटी मछलियां गंगा में छोड़ी गई

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19HREG444 संत रविदास घाट से दो लाख से अधिक छोटी मछलियां गंगा में छोड़ी गई

-विलुप्त मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण व संवर्धन के लिए केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान की पहल

वाराणसी, 19 अप्रैल (हि.स.)। गंगा में विलुप्त मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण व संवर्धन के लिए केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी) ने बड़ी पहल की है। बुधवार को संत रविदास घाट पर दो लाख 12 हजार छोटी मछलियां (मत्स्य अंगुलिकाएं) गंगा में छोड़ी गईं। इनमें कतला, रोहू, मृगल आदि प्रजातियां शामिल हैं।

इस अवसर पर सिफरी के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ बीपी मोहंती ने बताया कि नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की स्वच्छता और भूगर्भ जल संरक्षण के लिए समग्र प्रयास हो रहे हैं। ये भी उसी का एक हिस्सा है। उन्होंने गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए जनसहयोग को जरूरी बताया। उन्होंने बताया कि योजना के क्रियान्वयन से स्थानीय मछलियों के प्रजाति के जर्म-पलाज्म का पुनर्स्थापन तथा जैव विविधता का संतुलन एवं संरक्षण हो सकेगा। प्रति इकाई क्षेत्रफल में मत्स्य उत्पादन में अभिवृद्धि से जीविकोपार्जन के लिए शिकारमाही पर निर्भर मछुआरों की आय में बढ़ोतरी होगी तथा उनके जीवन स्तर में सुधार होगा।

नमामि गंगे (गंगा विचार मंच) के प्रांत सह संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि स्थानीय मछुआरों की आजीविका बढ़ाने में यह योजना मददगार है। इस अवसर मत्स्य उप निदेशक अनिल कुमार, डॉ वीआर ठाकुर, डॉ मितेश रामटेक, डॉ विकास कुमार, डॉ जितेन्द्र कुमार, गंगा टास्क फोर्स के लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील गुहानी, सुबेदार शिवेंद सिंह, बीएचयू की प्रो. राधा चौबे व जंतु विज्ञान विभाग की छात्र-छात्राएं मौजूद रही।