गाजियाबाद। दिल्ली गेट स्थित प्राचीन देवी मंदिर का विवाद थमने का नाम नही ले रहा है। एक तरफ जहां लखन गिरी दूधेश्वरनाथ मठ के महंत नारायण गिरी और नवनियुक्त महंत गिरीशानंद गिरी पर गंभीर आरोप लगाते आ रहे हैं। वहीं आज देवी मंदिर में प्रेसवार्ता कर गिरीशानन्द ने लखन गिरी के आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि लखन गिरि जो भी बाते कर है वह सभी बाते निराधार है। निश्चित ही वह कुछ आसामजिक तत्वों की बातों मे आकर विचित्र मानसिकता वाली बाते कर रहे हैं। गत 35 वर्ष एवं उससे पूर्व कभी भी लखन गिरि का दुर्गा देवी मठ मन्दिर में कोई आना जाना नहीं है कोई सम्बन्ध नहीं है।
महंत विजय गिरी ने बताया कि मठ श्रीपंचदशनाम जूना अखाडा की परम्परा से है। निश्चित ही जूना अखाड़ा ने मठ की व्यवस्था एवं विकास को देखते हुये महन्त को नियुक्त करते हैं। मठ मन्दिर सनातन धर्म को आगे बढ़ाने तथा आध्यात्मिक शक्ति प्राप्ति के लिये है, तो मठ के विकास एवं उत्तम व्यवस्था को देखते हुये श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा स्वयं निर्धारित करता है कि किसको मठ का मठाधीश बनाया जाये। यह निर्णय किसी भी व्यक्ति विशेष के परामर्श या योगदान से नही होता।
एक अक्टूबर की सुबह विधिविधान से जूना अखाड़ा के अन्तराष्ट्रीय संरक्षक महन्त हरि गिरि अन्तराष्ट्रीय अध्यक्ष सभापति महन्त प्रेम गिरि, सभापति उमाशंकर भारती, सैकेटरी महन्त महेश पुरी, सैक्रेटरी महन्त शैलेन्द्र गिरि, श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा, आवाहन अखाडा, अग्नि अखाडा, दिल्ली सन्त महामंडल ने महन्त बनाया है। दुर्गा देवी मठ मन्दिर की सम्पूर्ण व्यवस्था एवं विकास का अधिकार दिया है। मुझे लिखित रूप से महन्त जामा भी दिया गया। जिसके आधार पर देवी मन्दिर का विकास करना मेरा अधिकार निश्चित है।
मां बाला सुन्दरी की कृपा से आने वाले समय में मठ का स्वारूप विकास पूर्ण भव्य होगा प्राचीन समय से ही दूधेश्वर मठ मन्दिर, हनुमान चौपला मन्दिर दुर्गा देवी मन्दिरभैरव मन्दिर सभी जूना अखाड़ा के है। मंदिर की तिजौरी तोड़कर उसमें से महंत नारायण गिरी द्वारा चोरी के बयान पर बताया गया कि उन्होंने कोई चोरी नही
की बल्कि साधु संत और मंदिर के सेवादारों के सामने तिजौरी को खोला गया और उसमें मिली नकदी जेवर के अलावा अन्य कीमती सामान को सबके सामने गिन कर रखा गया। जिसके बाद सभी के हस्ताक्षर भी कराए गए थे। महंत कार्तिकेय गिरी के अनुसार दुर्गा देवी मठ मन्दिर श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा की परम्परा में है। इसलिए मठ मे अखाड़े की परम्परानुसार कार्य होता है। निश्चित ही जूना अखाड़ा को अधिकार है कि किसको महन्त नियुक्त करना है। इसमें कोई जिलाधिकारी एवं कोई सरकार इसका निर्णय नहीं करती है। सदैव यह निर्णय श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा लेता है, जो कि सर्वोपरि है।
महंत गिरिशानन्द गिरि श्री दुर्गा देवी मठ मन्दिर नियुक्त किए गए है। प्रेसवार्ता में साध्वी कैलाश गिरी, स्वामी शिवानंद सरस्वती, स्वामी रमेशानंद गिरी, शिव कुमार गर्ग, अजय चोपड़ा, ईश्वर सिंह, नरेन्द्र,एडवोकेट राहुल तंवर, सुनील नागर,कैलाश, अमल कुमार अवस्थी, विनोद शुक्ला, नरेन्द्र कुमार तिवारी, आदि उपस्थित रहे।