14 इंजीनियरिंग कॉलेज में पांच भारतीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने फैसला

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देश के 8 राज्यों के 14 इंजीनियरिंग कॉलेज पांच भारतीय भाषाओं हिंदी, तमिल, तेलुगू, मराठी बांग्ला में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने जा रहे हैं। इंजीनियरिंग के कोर्स का 11 भारतीय भाषाओं में ट्रांसलेशन के लिए एक टूल भी डिवेलप किया जा चुका है। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति पर बोलते हुए यह जानकारी दी।

नई शिक्षा नीति के 1 वर्ष पूरा होने के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि क्षेत्रीय भाषा में अपनी पढ़ाई शुरू करने जा रहे छात्र-छात्राओं को मैं विशेष बधाई देना चाहता हूं। इसका सबसे बड़ा लाभ देश के गरीबों को होगा। गांव कस्बों में रहने वाले मध्यम वर्ग के छात्रों को, दलित, पिछड़े, आदिवासी भाई बहनों को सबसे ज्यादा भाषाई विभाजन का सामना करना पड़ता है। मातृभाषा में पढ़ाई से गरीब बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा। उनकी प्रतिभा के साथ न्याय होगा। प्रारंभिक शिक्षा में भी मातृभाषा को प्रोत्साहित करने का काम प्रारंभ हो चुका है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी कहां करते थे राष्ट्रीय शिक्षा को सच्चे अर्थों में राष्ट्रीय होने के लिए राष्ट्रीय परिस्थितियों को रिफ्लेक्ट करना चाहिए। बापू के इसी दूरदर्शी विचार को पूरा करने के लिए स्थानीय भाषाओं में शिक्षा का विचार एनईपी में रखा गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्ले स्कूल का जो कांसेप्ट अभी तक बड़े शहरों में तक सीमित है। एनईपी के तहत विद्या प्रवेश कार्यक्रम के जरिए वह अब दूरदराज के स्कूलों तक जाएगा। गांव गांव तक जाएगा। यह प्रोग्राम आने वाले समय में यूनिवर्सल प्रोग्राम के तौर पर लागू होगा राज्य भी अपनी अपनी जरूरत के हिसाब से इसे लागू करेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज एक काम हुआ है जो मेरे हृदय के बहुत करीब है। यह बहुत संवेदनशील भी है। आज देश में 3 लाख से भी ज्यादा बच्चे ऐसे हैं, जिनको शिक्षा के लिए सांकेतिक भाषा की आवश्यकता पड़ती है। इसे समझते हुए भारतीय साइन लैंग्वेज को एक भाषा विषय, एक सब्जेक्ट का दर्जा प्रदान किया गया है। अब छात्र इसे एक भाषा के तौर पर भी पढ़ पाएंगे। इससे भारतीय साइन लैंग्वेज को बढ़ावा मिलेगा।

पीएम मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 1 वर्ष पूरा होने पर सभी छात्रों, अभिभावकों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिक्षकों, अभिभावकों, शिक्षानीति बनाने वाले विशेषज्ञ को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि बीते 1 वर्ष में देश के आप सभी महानुभावों शिक्षकों प्रधानाचार्य नीतिकारों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने में बहुत मेहनत की है।

पीएम ने कहा कि हम कितना आगे जाएंगे, कितनी ऊंचाई प्राप्त करेंगे, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में कैसी शिक्षा दे रहे हैं। कैसी दिशा दे रहे हैं।

पीएम ने कहा कि कोरोना काल में इतनी बड़ी चुनौती आई। छात्रों की पढ़ाई, जीवन का ढंग बदल गया। लेकिन देश के विद्यार्थियों ने तेजी से इस बदलाव को स्वीकार किया। ऑनलाइन एजुकेशन अब एक चलन बनता जा रहा है। शिक्षा मंत्रालय ने भी इसके लिए अनेक प्रयास किए हैं। मंत्रालय ने दीक्षा प्लेटफार्म, स्वयं पोर्टल पर पाठ्यक्रम शुरू किए। हमारे युवा पूरे जोश से इनका हिस्सा बन गए। दीक्षा प्लेटफार्म पर पिछले 1 साल में 23 सौ करोड़ से ज्यादा हिट होना बताता है कि यह कितना उपयोगी प्रयास रहा है। आज भी इस पर करीब प्रतिदिन 5 करोड़ हिट हो रहे हैं।

पीएम के कहा कि आज छोटे-छोटे गांव से कस्बों से निकलने वाले युवा कैसे-कैसे कमाल कर रहे हैं। सामान्य परिवारों से आने वाले युवा टोक्यो ओलंपिक में देश का झंडा बुलंद कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षा में डिजिटल रेवोलुशन पूरे देश में एक साथ आए। गांव, शहर समान रूप से डिजिटल लनिर्ंग से जुड़ें, इसका भी खास ख्याल रखा गया है। नेशनल डिजिटल एजुकेशनल आ*++++++++++++++++++++++++++++र्*टेक्च र नेशनल एजुकेशन टेक्नोलॉजी फोरम इस दिशा में पूरे देश में डिजिटल टेक्नोलॉजिकल फ्रेमवर्क उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इसी तरह स्ट्रक्च र एसेसमेंट फॉर एनालाइजिंग लनिर्ंग लेबल यानी सफल के जरिए छात्रों के आकलन की भी वैज्ञानिक व्यवस्था शुरू हुई है। यह व्यवस्था आने वाले समय में छात्रों को परीक्षा के डर से भी मुक्ति दिलाएगी। जब यह डर युवाओं के मन से निकलेगा तो नए-नए स्किल्स लेने का साहस, नए-नए इनोवेशन का नया दौर शुरू होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमने आपने दशकों से यह माहौल देखा है जब समझा जाता था की अच्छी पढ़ाई करने के लिए विदेशी जाना होगा, लेकिन अच्छी पढ़ाई के लिए विदेशों से छात्र भारत आए, बेस्ट शिक्षण संस्थान भारत आएं, यह हम देखने जा रहे हैं। यह जानकारी बहुत उत्साह बढ़ाने वाली है कि देश के 150 से ज्यादा यूनिवर्सिटी में इसके लिए व्यवस्था की जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 12 सौ से ज्यादा उच्च शिक्षण संस्थानों में कौशल विकास से जुड़े सैकड़ों नए पाठ्यक्रमों को मंजूरी दी गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे यहां कहा गया है कि जो गुरु से प्राप्त नहीं हो सकता वह कहीं प्राप्त नहीं हो सकता। यानी ऐसा कुछ भी नहीं है जो एक अच्छा गुरु मिलने के बाद उपलब्ध न हो। आज लॉन्च हुआ निष्ठा 2.0 प्रोग्राम भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इसके जरिए देश के शिक्षकों को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप ट्रेनिंग मिले मिलेगी शिक्षक भी अपने सुझाव विभाग को भेज सकेंगे।

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