केरल के तट पर इस बार देर से टकराया मॉनसून (Monsoon 2021) पूरे देश में छाने से पहले ही सुस्त पड़ गया. लगभग आठ जुलाई से मॉनसून एक बार फिर से सक्रिय हुआ और अव वो दिल्ली, राजस्थान के जैसलमेर और गंगानगर तक पहुंच गया है. मगर मंगलवार की सुबह मॉनसून की बारिश ने दिल्ली-एनसीआर में दस्तक दे दी है. दक्षिणपश्चिम मॉनसून पूर्वानुमान के अनुसार आगे नहीं बढ़ रहा. इसकी वजह से भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) को आलोचना झेलनी पड़ी है.मॉनसून ने अब पश्चिमी राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों को भी कवर कर लिया है. पंजाब औैर हरियाणा के किसान काफी समय से मॉनसून की बारिश का इंचजार कर रहे थे. खरीफ सीजन की उनकी मुख्य फसल धान की सिंचाई के लिए पानी सख्त जरूरत है, क्योंकि ट्यूबवेल से सिंचाई के लिए पंजाब के किसानों को बिजली पर्याप्त नहीं मिल पा रही है.यहां हुई है बारिशआईएमडी ने एक बयान में कहा कि नम पूर्वी हवाएं उत्तर पश्चिम भारत में फैल गई हैं. आईएमडी ने कहा कि इन नम हवाओं के कारण बादल छाने और सापेक्षिक आर्द्रता में वृद्धि हुई है. इससे इस क्षेत्र में मॉनसून फिर से बहाल हुआ है और पूर्वी राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर में भारी बारिश और पंजाब एवं पश्चिमी राजस्थान में छिटपुट वर्षा हुई है.इन राज्यों में आंधी के साथ हो सकती है बारिशमौसम विज्ञान केंद्र ने बिहार के सभी जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी कर रखा है. मौसम विभाग के मुताबिक स्थानीय कारणों से होने वाली बारिश के दौरान तेज गर्जन एवं वज्रपात की घटनाएं ज्यादा होती हैं. इसलिए लोगों को काफी सावधान रहने की जरूरत है. मौसम विभाग ने मंगलवार के लिए हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भी यलो अलर्ट जारी किया है.विभाग के अनुसार, राजस्थान, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, गांगेय पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, मणिपुर समेत पूर्वोत्तर के राज्यों आंधी के साथ बारिश होने की संभावना है.किसानों के लिए मॉनसून की बारिशमॉनसून की बारिश किसानों के लिए राहत साबित होती है, क्योंकि खरीफ फसलों की बुवाई इसके आने के बाद ही जोर पकड़ती है. मॉनसून ने बिहार और यूपी के कुछ हिस्सों में पहले ही दस्तक दे दी थी. मगर पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में देर से पहुंचा है.मध्य प्रदेश में बारिश नहीं होने के कारण खेत लगी सोयबीन के पौधे सूखने लगे थे. मॉनसून की बारिश की वजह से खेतों की सिंचाई के लिए ट्यूबवेल नहीं चलाना पड़ता. ऐसे किसानों के डीजल के पैसे की बचत हो जाती है.