गाजियाबाद। सरकारी व्यवस्था में कभी-कभी प्यादा भी बादशाह बन कर सामने आता है। कुछ ऐसा ही नज़ारा नगर निगम में दिखाई दे रहा है। जहां एक सुपरवाइजर की कहानी लगभग हर जुबान पर है। नगर निगम के अधिकारी ना तो सुपरवाइजर के खिलाफ जांच करने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं और ना ही सुपरवाइजर पर अंकुश लगा पा रहा है। इस संबंध में एक ठेकेदार ने सुपरवाइजर पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं।
मामले की जांच नगर आयुक्त तक पहुंच गई है लेकिन अब तक सुपरवाइजर बाल भी बांका नहीं हो सका है। बड़ी बात यह है कि सुपरवाइजर पर लगाए गए आरोप इतने गंभीर हैं कि अगर उनकी जांच की जाए तो निश्चित रूप से एक बड़ा घोटाला सामने आ सकता है लेकिन इसे भाग्य की विडंबना कहें या नगर निगम की लाचारी जिसके चलते सुपरवाइजर तक जांच की आंच भी नहीं पहुँच सकी है। नगर निगम के ठेकेदार दिनेश प्रताप सिंह ने नगर निगम के वसुंधरा जोन के निर्माण विभाग के सुपरवाइजर तुलसीराम पर गंभीर आरोप लगाते हुए शासन से सुपरवाइजर की संपत्ति की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
श्री सिंह ने कहा कि पूरे जोन मंे किसी नए ठेकेदार को सुपरवाइजर के द्वारा काम नहीं करने दिया जाता। प्रत्येक काम के बदले में कमीशन की मांग की जाती है। सुपरवाइजर इतना अधिक प्रभावी है कि वह मुख्यमंत्री कार्यालय तक शिकायतें पहुंचने पर उन्हें प्रभावित करने में कामयाब रहता है। ये भी आरोप लगाया कि सुपरवाइजर के द्वारा निगम में रहते हुए बेटे पंकज शर्मा के नाम से ठेकेदार फर्मों का संचालन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री को भेजे लेटर में उल्लेख किया गया कि उसके द्वारा वसुंधरा जोन के अंतर्गत आने वाले वैशाली में काम किया जा रहा है। आए दिन सुपरवाइजर के द्वारा पंगा डाला जाता है। हाल में उसके द्वारा अपने गुंडों के माध्यम से हमला कराया गया।
पूरे प्रकरण को लेकर उसने इंदिरापुरम थाने में तहरीर दी गई तो पुलिस के द्वारा हल्की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। शिकायतें बढने पर निगम अधिकारियों के द्वारा सुपरवाइजर को वसुंधरा जोन से विजय नगर जोन में स्थानांतरित किया गया,लेकिन सुपरवाइजर पुनः वसुंधरा जोन में वापस तैनाती पाने में कामयाब रहा। वैशाली सेक्टर पांच की महिला पार्षद मधु सिंह के द्वारा सुपरवाइजर के खिलाफ मुख्यमंत्री के सामने मामला उठाया गया और मुख्यमंत्री के सचिव संजय प्रसाद के द्वारा प्रमुख सचिव को संबंधित सुपरवाइजर के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए गए,लेकिन मामले में कुछ भी नहीं हुआ।