चमोली जैसी त्रासदी को रोकने के लिए भविष्‍य में डीआरडीओ, इसरो और अन्‍य एजेंसियों की ली जाएगी मदद

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देहरादून। उत्‍तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रारंभिक अनुमान में लगभग 200 लोग लापता हैं, जबकि लगभग 11 लोगों के शव मिले हैं। भविष्य में ऐसी त्रासदी को रोकने के लिए घटना के कारणों का पता लगाने और योजना के निर्माण के लिए व्यापक विश्लेषण किया जा रहा है। ग्लेशियर के टूटने से चमोली त्रासदी हुई है। डीआरडीओ, इसरो और अन्य एजेंसियों के विशेषज्ञों को इसमें शामिल किया गया। 

सीएम रावत ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा उनके घरों से विस्थापित लोगों को राशन किट प्रदान की जा रही है। त्रासदी के बाद से पीएम मोदी लगातार हमारे संपर्क में हैं और उत्तराखंड के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। उत्तराखंड के सीएम रावत का कहना है कि वह खुद राहत कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। केंद्र के अलवा कई राज्यों ने मदद की भी पेशकश की है। प्राथमिकता अब लोगों जान बचाने, नियत समय पर होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई और विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए है। ज्ञात हो कि उत्तराखंड में कई ग्लेशियर ऐसे हैं जो भविष्‍य में खतरनाक साबित हो सकते हैं। ऐसा ही एक ग्लेशियर चमोली जिले के माउंट त्रिशूल और माउंट नंदाघुंटी के नीचे मौजूद है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से ये ग्‍लेशियर पिघल रहा है लेकिन भविष्‍य में यह तबाही ला सकता है। कहा जा रहा है कि इस ग्लेशियर के नीचे बने दो छेद भविष्य में तबाही ला सकते हैं।  ये छेद प्राकृतिक रूप से बने हैं। जानकारों का मानना है कि अगर यहां कोई बड़ा भूकंप आया तो शिला ग्लेशियर टूट सकता है।  ऐसी हालत में इसकी तबाही का असर 250 किलोमीटर दूर स्थित हरिद्वार तक देखने को मिल सकता है।