जिलाधिकारी ने कायम की मिसाल, रैन बसेरे में गुजारी रात

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गाजियाबाद। जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने रात का करीब एक घंटा रैन बसेरे में बिताया ही नहीं, बल्कि वहीं पर फाइलें भी साइन की। इसके साथ ही उन्होंने रेन बसेरों की स्थिति पर संतुष्टि जाहिर की। हुआ कुछ यूं कि कल सुबह साढ़े ग्यारह बजेकलक्ट्रेट में एक समाजसेवी जिलाधिकारी से मिले। वे जिले में चल रहे रैन।बसेरों की दुर्दशा की शिकायत करते है। जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने आश्वासन दिया कि वे स्वयं निरीक्षण कर समस्या का समाधान करेंगे। परंतु समाजसेवी कहते हैं कि आपके आस-पास ही रैन बसेरे इतनी बुरी दशा में है कि आप उनमें प्रवेश भी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि वहां 10 मिनट ठहर भी नहीं सकते। यहां के बिस्तर और कंबल पर हाथ भी नही लगायेंगे।

जिलाधिकारी ने उनको टोका व संतुष्ट करने का प्रयास किया, पर वह अपनी शिकायत पर अड़े रहे। जिलाधिकारी ने समाजसेवी का मोबाइल नंबर लिया और कहा कि जिन रैन बसेरों का नाम लिया जा रहा है वहीं जाऊंका भी, रूकूंगा भी, वहीं के बिस्तर और वहां के बिछौने व कंबल का इस्तेमाल करुंगा। इसके साथ ही रात भी गुजारुंगा। समाजसेवी यह कहते हुए चले गये कि वे उस दिन का इंतजार करेंगे। कल रात 11 बजे जिलाधिकारी अपने स्टाफ के साथ रैन बसेरों का आकस्मिक निरीक्षण के लिये निकलते हैं। सबसे पहले वे दलबल के साथ अर्थला रैन बसेरे में पहुंचते हैं,वहां का निरीक्षण करते है, लोगों से बातचीता करते है और यहां तक की वहां के कंबल, बिछौने, बिस्तर सबका बारीकी से निरीक्षण करते हैं।

वहां रहने वाले रात्रि वासियों से बातचीत करते हैं।इसके बाद रात साढ़े बारह बजे जिलाधिकारी राजनगर स्थित डूडा के रैन बसेरा जिलाधिकारी अपने स्टाफ के साथ पहुंचते है और सीधे रैन बसेरे में प्रवेश करते है। रैन बसेरे में कुछ लोग सो रहे थे और कुछ लोग आपस में बातचीत कर रहे थे। जिलाधिकारी के रैन बसेरे के आगमन की सूचना पर कुछ लोग खड़े हो गये, परंतु जिलाधिकारी ने ठंड में बिस्तर में रहने का अनुरोध किया।जिलाधिकारी के ओएसडी समाजमोठी का मोबाइल मिलाते है, कई बार घंटी जाने के फोन पर कहा जाता है कि जिलाधिकारी आपके पड़ौस
के रैन बसेरे में आये हुए है।

वे 15 मिनट में आने की कहते हैं। 15 मिनट बीतने पर पुन फोन मिलाया जाता है और उनका बंद मिलता है। इसके बाद जिलाधिकारी रैन बसेरे में खुले बैड पर बैठ जाते हैं। इसके बाद उन्होंने सरकारी पत्रावलियों व फाइलों का निस्तारण वहीं करना शुरू किया। करीब एक घंटे बाद वे वापस लौट जाते हैं। इस दौरान वे रैन बसेरे में रहने वालों के लिए नई याद छोड़कर चले जाते हैं। जिलाधिकारी ने शैल्टर होम के लिए एक अधिकारी को प्रतिदिन निरीक्षग किये जाने के निर्देश दिये। भ्रमण के दौरान जिलाधिकारी को शैल्टर होम की व्यवस्था संतोषजनक मिली।