– पूछताछ के लिए एसटीएफ जय को ले गई लखनऊ, दूसरों के नाम से लाइसेंस बनवाकर जुटाता था असलहे
कानपुर :- सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों को मौत की नींद सुलाने वाला हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे भले ही अभी पुलिस की पकड़ से दूर हो, पर उसके सम्पर्कों का धीरे-धीरे खुलासा होने लगा है। इसी के चलते बजरिया थाना क्षेत्र के ब्रह्मनगर में रहने वाले जय बाजपेयी का भी नाम सामने आया है क्योंकि रविवार को विजय नगर में मिली तीन लावारिस लग्जरी कारों का मालिक जय बाजपेयी बताया जा रहा हैं।
पुलिस को आशंका है कि विकास दुबे को भगाने में जय का हाथ हो सकता है। इसी आशंका पर यूपी एसटीएफ ने जय और उसकी पत्नी, मां को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है। सूत्रों की मानें तो चार हजार रुपये में प्रिंटिग प्रेस में काम करने वाला जय आज अरबपति है और इसका पूरा श्रेय विकास दुबे को जाता है। हालांकि इसकी सच्चाई क्या है, इस पर एसटीएफ अपना काम कर रही है और जल्द ही इसका खुलासा करेगी। पुलिस हमले में शामिल होने और बदमाशों के फरार होने में मदद करने का अगर सबूत मिलता है तो कार मालिक जय बाजपेयी पर कार्रवाई होना तय है।
चार हजार रुपये की करता था नौकरी
बताया जा रहा है कि करीब दस वर्ष पहले जय बाजपेयी ब्रह्मनगर में एक प्रिंटिग प्रेस में चार हजार रुपये प्रति माह में नौकरी करता था। स्थानीय लोगों की मानें तो परिवार की हालत सुधारने के लिए जय त्योहारों में दुकानें भी लगाता था। चार हजार रुपये में नौकरी करने वाले जय परिवार को चलाने के लिए कभी-कभी तो अपने घर के जेवर भी गिरवी रख देता था। आज उसके पास कम समय में ब्रह्मनगर में एक दर्जन से अधिक मकान, लखनऊ-कानपुर रोड पर एक पेट्रोल पम्प है। कई लग्जरी कारें हैं और अरबपति है।
यह भी जानकारी मिल रही है कि हाल ही में उसने दुबई में एक फ्लैट लिया है। महज आठ-दस सालों में चार हजार रुपये की नौकरी करने वाला जय आज अरबपति कैसे बन गया है? यह प्रश्न इलाके का हर व्यक्ति करता है और इसका श्रेय हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को दे रहे हैं।
विकास-जय की दिखी एक साथ फोटो
बिकरू गांव में रहने वाला दुर्दांत अपराधी विकास दुबे और कारोबारी जय बाजपेई की कई फोटो में दोनों के एक साथ देखकर पुलिस ने जय को उठाया था। पूछताछ की गयी, लेकिन उससे कुछ पता नहीं चल पाया था। पुलिस ने जय के मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवाई तो कई संदिग्ध नंबर सामने आए। तब एसटीएफ और क्राइम ब्रांच ने उससे पूछताछ शुरू की।
सूत्रों की मानें तो जांच में जय और उसके कई करीबियों की सीडीआर निकाली गयी है, जिससे कई अहम सबूत पुलिस को मिले हैं। पुलिस और एसटीएफ की पूछताछ में इस तरह से कारें क्यों खड़ी की, इसका जवाब जय बाजपेयी नहीं दे पा रहा है। पुलिस का शक बराबर गहराता ही जा रहा है।
विकास के दम पर सपा के हिस्ट्रशीटर से लिया था सीधा मोर्चा
दुर्दांत अपराधी विकास की दुबे की दम पर जय बाजपेयी ने सपा के हिस्ट्रीशीटर अनिल सोनकर से सीधा मोर्चा लिया था। इस दौरान अनिल सोनकर के घर पर भारी पथराव के साथ फायरिंग की थी। उस समय के तत्कालीन एसएसपी शलभ माथुर,एसपी अशोक वर्मा पुलिस बल के साथ पहुंचे थे। उस पर मुकदमा भी दर्ज हुआ था। हालांकि इस समय अनिल सोनकर भाजपा में हैं।
कई मुकदमे फिर भी कैसे कराया रिवाल्वर का लाइसेंस
विकास दुबे का बेहद करीबी जय बाजपेई प्रॉपर्टी के अलावा वीसी का भी काम करता है। उसके खिलाफ कई थानों में आधा दर्जन से ज्यादा अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। बावजूद इसके उसका रिवाल्वर का लाइसेंस और पासपोर्ट कैसे बन गया। क्या विकास के साथ जय बाजपेयी का नाम आने के बाद पुलिस उसके लाइसेंस व पासपोर्ट निरस्तीकरण की कार्रवाई करेगी। हालांकि मामला हाइप्रोफाइल होने के बाद इस पर अभी पुलिस के अधिकारी कोई बयान नहीं दे रहे हैं। विकास और जय की कई फोटो में एक साथ होने पर यह शक गहराया है कि जय विकास का बेहद करीबी है और कई मामलों में दुर्दांत अपराधी ने जय का इस्तेमाल करता रहा है।