Ghaziabad : निषेधाज्ञा कानून जमानत के कानून से भी अधिक महत्वपूर्ण

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गाजियाबाद :- उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने सोमवार को निषेधाज्ञा कानून विषय पर आयोजित ऑनलाइन व्याख्यानमाला में कहा कि निषेधाज्ञा कानून दीवानी के अधिवक्ताओं के लिए वही महत्व रखती है जो फौजदारी के अधिवक्ताओं के लिए किसी की जमानत रखती है। यह किसी पक्षकार को कोई कार्य करने या उससे विरत रहने से न्यायालय द्वारा दिये जाने वाला अनुतोष है।

उन्होंने कहा कि सक्षम न्यायलय को यह शक्ति प्राप्त है कि वह विवादग्रस्त सम्पति को हटाने बेचने व्यनित करने व खुर्दबुर्द करने से रोकने के लिए स्थाई आदेश दे सकती है और वह तबतक रहेगा जब तक अन्य आदेश पारित न करे। साथ ही वह किसी भी पक्षकार द्वारा इसकी अवज्ञा करने पर न्यायालय उसे तीन माह का सिविल कारावास या सम्पत्ति कुर्क करने का आदेश या उस सम्पत्ति को बेचकर उस क्षतिपूर्ति या नुकसानी की भरपाई कर सकती है। जब कोई अवैध निर्माण या अनधिकृत निर्माण का प्रश्न हो, तब न्यायालय को लोकहित या व्यक्ति हित में से लोकहित को महत्व देते हुए निषेधाज्ञा का आदेश पारित करने चाहिए।

न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा कि इसके अंर्तगत विशिष्ट अनुतोष अधिनियम में यह प्रावधान है कि जबतक कोई भी पक्षकार दावे में अतिरिक्त नुकसानी के लिए प्रार्थना या नुकसानी संशोधन नही करता है तो उसे नुकसानी का विशिष्ट अनुतोष प्राप्त नही हो सकता है। सक्षम न्यायलय को किसी सेवा,अंतरण,निलंबन, अनिवार्य सेवा मुक्ति,प्रतिनयुक्ति,विश्विद्यालय के आंतरिक मामले,कुलाधिपति व शासन की नीलामी आदि वाले मामलों में निषेधाज्ञा देने से विरत रहना चाहिए।

साथ ही प्रथम दृष्टया देखना चाहिए कि वादपत्र में वांछित तथ्य है या नही व असुविधा व अनिष्ट का पड़ला किस पक्षकार के पक्ष में अधिक झुका है। गुणदोष से पूर्व किसके अधिकारों की अपूर्णीय क्षति होने की संभावना है,सभी मापदण्ड पूर्ण है या नही भी देखना चाहिए।

उक्त के विषय में अनेक विधि द्वारा प्रतिपादित सिद्धान्तों का भी उल्लेख किया गया। कार्यक्रम का संचालनहाई कोर्ट की अधिवक्ता आदित्य शुक्ला ने किया। सजीव प्रसारण मैं राष्ट्रीय कार्यकारिणी के विशेष आमंत्रित सदस्य विपिन त्यागी इकाई की अध्यक्षता आशा रानी वरिष्ठ अधिवक्ता व इकाई के संरक्षक के पी सिंह स्वाध्याय मंडल के संयोजक मोहनीश जयंत न्याय प्रवाह प्रमुख अरुण कुमार मनु गोस्वामी आशीष सिरोही वरुण त्यागी राजीव गुप्ता प्रमोद कुमार सुनीता वर्मा आदि सहित अन्य सैकड़ों अधिवक्ताओं ने सहभागिता की।