दलितों, कश्मीरी पंडितों के बच्चों और शरणार्थियों को जम्मू कश्मीर में दशकों बाद मिला न्याय

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नई दिल्ली :- प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने जम्मू कश्मीर में दलितों, कश्मीरी पंडितों के बच्चों और पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को निवास प्रमाण पत्र (डोमिसाइल) दिए जाने का अधिकार देने वाली नियमावली जारी किए जाने का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त किया।

डॉ सिंह ने कहा कि इस फैसले से जम्मू कश्मीर में 70 साल से जारी गलती को दूर किया गया है। उन्होंने कहा कि इस कदम से इतिहास के एक अन्याय का भी अंत हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य में न्याय और गरिमा के नए युग की शुरूआत हो गई। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहाकि उनके कारण यह मुमकिन हुआ।

भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव ने भी निवास प्रणाण पत्र (प्रक्रिया) नियमावली-2020 के गजट घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि इससे वर्षों पुरानी मांग पूरी हुई है। दलितों, कश्मीरी पंडितों के बच्चों और राज्य में शरणार्थियों को उनका अधिकार मिला है। इस कदम से भाजपा सरकार ने अपने एक वादे को पूरा किया है। निवास संबंधी नियमावली के अनुसार, अन्य राज्यों में निर्वासन का जीवन बिता रहे कश्मीरी पंडितों के बच्चे, राज्य के बाहर विवाह करने वाली कश्मीरी महिला के बच्चे, राज्य में बसे दलित वर्ग के लोग और विभाजन के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थी निवास प्रमाण पत्र के अधिकारी बन गए हैं।

जम्मू कश्मीर सरकार ने निवास प्रमाण पत्र के संबंध में गत दिनों फैसला किया था कि जो व्यक्ति जम्मू कश्मीर संघशासित क्षेत्र में 15 साल से रह रहा है अथवा उसने सात वर्षों तक यहां अध्ययन किया है तथा 10वीं या 12वीं की परीक्षा दी है, वह प्रमाण पत्र हासिल करने के योग्य है।

उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में वर्ष 1957 में वाल्मीकि समुदाय के लोग पंजाब के अमृतसर और गुरदासपुर से जम्मू आए थे। जम्मू कश्मीर सरकार के तत्कालीन मुखिया बक्शी गुलाम मोहम्मद ने उन्हें राज्य में बुलाया था। सरकार की ओर से इन लोगों को आश्वासन दिया गया था कि उन्हें राज्य का स्थायी निवासी बनाया जाएगा, लेकिन दशकों बाद भी उनकी मांग पूरी नही की गई।

नरेन्द्र मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 और 35ए को हटाने का ऐतिहासिक फैसला किया था तथा संसद में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित किया था। नए कानून के अस्तित्व में आने के बाद निवास प्रमाण पत्र देने का यह फैसला किया गया है।