गाजियाबाद। “सीने में जलन आंखों में तूफ़ान सा क्यों है इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है”।
भले ही यह एक मशहूर गाना हो जिसे गायक और संगीतकार ने बेहद सुरीले अंदाज़ में सजाया हो लेकिन गाजियाबाद के हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि अब यातायात पुलिसकर्मी भी मजबूरी में इस गाने का सामना कर रहे हैं। दरअसल दीपावली के बाद गाजियाबाद का प्रदूषण स्तर पहले की अपेक्षा 3 गुना अधिक बढ़ गया है। जिसको लेकर ना तो कोई सजगता दिखाई दे रही है और ना ही जिला प्रशासन द्वारा इसके लिए कोई सकारात्मक कदम उठाया गया है। हालांकि पटाखों की बिक्री पिछली बार से बेहद कम रही लेकिन आम आदमी के साथ सड़क पर यातायात व्यवस्था संभालने वाले पुलिसकर्मी भी अब बेहद दुखी और परेशान दिखाई दे रहे हैं। जानलेवा प्रदूषण धीरे-धीरे बीमारियों का एक ऐसा कारण बन रहा है जिसके खिलाफ फिलहाल किसी के पास कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है। कुछ ऐसा ही बयान किया ट्रैफिक कर्मी गय्यूर अहमद ने। जिन्होंने बताया कि सड़क पर यातायात ट्रैफिक के रूप में कार्य करना एक बेहद चुनौतीपूर्ण प्रभार है लेकिन बढ़ते हुए प्रदूषण ने इसे जानलेवा बना दिया है। ड्यूटी के दौरान उनके सीने में जलन हो जाती है तो कभी आंखों से आंसू बह निकलते हैं। इस और सिर्फ सरकार या प्रशासन को नहीं बल्कि हर शहरवासी को सकारात्मक पहल करनी होगी ताकि हम प्रदूषण कम कर सके और इसके स्तर को निम्न दर्जे तक घटा जा सके। वरना यह खतरनाक संकेत है जिससे सबसे पहले यातायात पुलिसकर्मी रोगी बन जाएंगे।