सुल्लामल रामलीला में हुआ ‘महारथी’ नाटक का मंचन

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गाजियाबाद। सुल्लामल रामलीला में बुधवार को भरत मिलाप व राज्याभिषेक के बाद लीला को विराम दे दिया गया। इसके बाद सुल्लामल रामलीला स्टेज पर दिल्ली के स्टेज व चित्रपट के कलाकारों द्वारा महारथी नाटक किया गया। लीला मंच से अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार, महामंत्री मनोज गोयल सहित कमेटी के पदाधिकारियों द्वारा एडीएम सिटी शेलेन्द्र , जी डी ए सचिव सन्तोष राय एवं एडिशनल सिटी मजिस्ट्रेट सतेंद्र कुमार को पटका पहनाकर व प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

नाटक में मारा गया संसार का श्रेष्ठतम योद्धा दानवीर कर्ण

लीला में कर्ण वध का बड़ा ही मार्मिक मंचन किया गया। “महारथी मारा गया, हा मेरा पुत्र कर्ण मारा गया” कुंती के इस अंतर्नाद ने कृष्ण को भी एक बार को स्तब्ध कर दिया, क्योंकि उन्होंने महाभारत की राजनीतिक उठापटक का संचालन करते समय कर्ण के साथ अन्याय होने दिया था।

कर्ण वह महापुरुष था जिसे सारथी पुत्र होने के कारण गुरु द्रोणाचार्य ने श्रेष्ठतम धनुर्धर होने का प्रमाण देने से वंचित कर दिया। जिसे दुर्योधन के स्वार्थ के चलते अंग राज्य तो मिला, लेकिन योद्धा कहलाने का अधिकार नहीं, जिसे पांडवों की तरह की ही पैदाइश होते हुए भी पिता पाण्डु का वंशज नहीं माना गया। जो योद्धा था, श्रेष्ठतम योद्धा, महारथी लेकिन वह तड़पता रहा कि वह भरी सभा में अपने अपमान या फिर अपने पुत्र की हत्या का बदला ले सके, लेकिन कभी उसकी जाति आड़े आई तो कभी वंश।

पत्नी वृषाली से कर्ण का ये कहना कि “मैं सो नही पा रहा हूं, पिछली कई रातों से जब भी मैं थक कर आंखें मूंदता हूं तो वे मुझे धर दबोचते है। उनके विचार, ताने, प्रताणनाये, सब मुझे घेर लेते हैं, दबाते हैं, मसलते हैं, मैं कुछ भी नहीं कर पाता, उस सामाजिक विद्रूपता को हमारे सामने रख देता है जो आज भी जस की तस हमें भोगने पर मजबूर कर रही है।

नाटक देखने आए सभी दर्शकों ने ‘महारथी’ नाटक की जमकर सरहाना की। नाटक के बीच-बीच में जहां अनेकों बार तालिया बजीं वहीं दर्शक अनेकों बार भावुक भी हुए। इस नाटक का निर्देशन नीरा बक्शी व सह निर्देशन अमरजीत ने किया।

नाटक संचालन में मुख्य रूप से अध्यक्ष वीरू बाबा, महामंत्री मनोज गोयल, शिव ओम बंसल, संजीव मित्तल, अनिल चौधरी, दिनेश शर्मा, अलोक गर्ग, सुभाष गुप्ता, ज्ञान प्रकाश गोयल, राजेंद्र मित्तल मेदी वाले, सुबोध गुप्ता, प्रेम चंद गुप्ता, देवेंद्र मित्तल, लाल चंद शर्मा, सुधीर गोयल मोनू, विपिन गर्ग, राधवेंद्र, श्री कांत राही, नीरज गोयल आदि का विशेष सहयोग रहा।