धूमधाम से मनाया गया ‘शहीद-ए-आजम’ भगत सिंह का 112वां जन्मदिवस

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गाजियाबाद। सुभाष युवा मोर्चा-संगठन द्वारा अपने कार्यालय पर शहीद-ए-आजम भगत सिंह का 112वां जन्मदिवस बड़ी धूम-धाम से मनाया गया। इससे पहले मोर्चा के संयोजक सतेन्द्र यादव, सुभाषवादी भारतीय समाजवादी पार्टी (सुभास पार्टी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव व जिलाध्यक्ष बीर सिंह त्यागी द्वारा शहीद भगतसिंह के चित्र पर माल्र्यापण कर जन्मदिवस कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

इस अवसर पर सुभाष युवा मोर्चा के संस्थापक व संयोजक सतेन्द्र यादव द्वारा शहीद-ए-आजम भगत सिंह जी के जीवन पर प्रकाश डाला गया, उन्होंने बताया कि शहीदे-ए-आजम का जन्म 27-28 सितम्बर मध्य रात्रि में 1907 में लायलपुर जिले के बंगा गांव (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। इस कारण भगत सिंह के परिवारीजन इनका जन्मदिन 28 सितम्बर को मनाते है। इनके पिता किशन सिंह व माता विद्यावती ने बचपन से ही भगत सिंह को देशभक्ति व अन्याय के खिलाफ लड़ने के शिक्षा दी थी ।

भगत सिंह पूरा परिवार क्रान्तिकारी था। उन्होंने जेल में 116 दिन की भूख हड़ताल की। भगतसिंह की फाँसी को रोकने के लिए पूरी दुनिया के लोगों ने कोशिश की ही। ब्रिटिश सांसदो तक ने फाँसी रोकने की कोशिश की। लाखों लोगों ने इस बारे में पत्र लिखे जिसमे से कुछ तो खून से लिखे गये थे।

भारत में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस व मौहम्मद अली जिन्ना ने पुरजोर कोशिश की लेकिन अंग्रेजों ने किसी की न मानी। महज 23 साल 5 महीने 25 दिन की आयु में 23 मार्च 1931 की शाम 7ः33 उन्हें फाँसी दी गई।

भाजपा पूर्व महानगर अध्यक्ष अमरदत्त शर्मा ने कहा कि खुद में देशभक्ति के जज्बे को भरने के लिए शहीद भगत सिंह का नाम ही काफी है। उनमें देश के प्रति इतना प्रेम था कि वह हँसते-हँसते फांसी के फंदे पर झूल गये। समाज में फैली शोषण व अमीरी गरीबी की खाई को भगत सिंह के रास्ते पर चलकर ही मिटाया जा सकता है। सुभास पार्टी के जिलाध्यक्ष बीर सिंह त्यागी ने कहा कि स्कूली शिक्षा से ही वह भारत की आजादी के सपने देखने लगे थे।

जब माता-पिता ने शादी करनी चाही तो घर से भाग गये और अपने पीछे एक खत छोड़ गये। उन्होंने उसमें लिखा कि उन्होंने अपना जीवन देश को आजाद कराने के लिए समर्पित कर दिया है। लाहौर षडयंत्र केस में राजगुरू, सुखदेव के साथ भगत सिंह को भी फांसी की सजा सुनायी गयी।

इस अवसर पर मनोज शर्मा एडवोकेट, गोपाल सिंह, सुनील दत्त, रामकुमार शर्मा, रामअवतार यादव, सौरभ यादव, उमेश गर्ग, सन्दीप, अभिनन्दन तिवारी, पी, के. सिंह, एन. पी. दीक्षित, प्रताप सिंह, दीपक शर्मा, अर्चना शर्मा, मनोज गुलाटी, एन. डी. दीक्षित, दीपक वर्मा, संजय शर्मा, रिंकू दीक्षित, अनिल सिन्हा, उमेश दीक्षित, धनंजय कुमार सिंह, दलीप पाण्डे, विवेक राणा, विकास, राम गोपाल, नसरूद्दीन मलिक, जगदीश गोयल, दीपक कुमार, रिंकू, अक्षय, रोहित आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।

इस अवसर पर महशर बदायूंनी की चर्चित पंक्तियाँ याद आती हैं :-

अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला
जिस दिये में जान होगी वो दिया रह जाएगा

-महशर बदायूंनी

आप सभी को भी शहीद ए आज़म की जन्मतिथि पर ढेरों शुभकामनायें। हमारे देश के युवावर्ग को निश्चित ही भगत सिंह बहुत कुछ सिखा गए हैं। मगर फिर भी अगर यूथ देश को अवनति के रास्ते पर धकेल दे तो यह उसका दुर्भाग्य है।