अयोध्या केस के 39वें दिन SC ने अपनाया कड़ा रुख, कहा सुनवाई की तारीख नहीं बढ़ेगी 18 अक्टूबर से आगे

Share

अयोध्या। अयोध्‍या मामले की सुनवाई के 32वें दिन की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। CJI ने सभी पक्षकारों से कहा कि इस बात का ध्यान रखना होगा कि 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी हो जानी चाहिए. उसके बाद सुनवाई की तारीख आगे नहीं बढ़ाई जाएगी, बताते चलें कि अयोध्या मामले की 31वें दिन की सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि वे राम चबूतरा को भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं, हालांकि उन्होंने 1885 में फैजाबाद कोर्ट के उस निर्णय को चुनौती नहीं दी कि हिंदू भगवान के जन्मस्थान के तौर पर उस चबूतरे पर पूजा करते हैं।

फिलहाल मुस्लिम पक्ष की तरफ से मीनाक्षी अरोड़ा की जारी बहस के बाद शेखर नाफड़े को भी बहस करना है।उसके बाद हिंदू पक्ष को जवाब भी देना है। CJI ने दोनों पक्षकारों से पूछा कि बताइए कि आप लोग कैसे अपनी जिरह पूरी करेंगे। हिन्दू पक्ष ने कहा कि 28 सितंबर और 1 अक्टूबर को हम जवाब (रिजॉइंडर) दाखिल करेंगे। CJI ने राजीव धवन ने पूछा कि क्या आपके लिए 2 दिन काफी होगा रिजॉइंडर के लिए। धवन ने कहा कि संभवतया यह कम होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से निर्धारित समय तक दलील देने का समय मौखिक तौर पर स्पष्ट किया। इस तरह चीफ जस्टिस ने साफ कर दिया है कि 18 अक्टूबर के बाद किसी भी पक्ष को एक दिन का भी वक्त नहीं मिलेगा।

क्या 17 नवंबर से पहले आएगा रामलला पर फैसला ?

आपको याद दिला दें कि इस मामले की सुनवाई के 26वें दिन यानी 17 सितंबर से पहले ही 16 दिन हिंदू पक्ष ने दलीलें रखी थीं। जबकि मुस्लिम पक्ष अब तक 10 दिन बोल चुका था। जिस कारण उसी दिन कोर्ट ने सभी पक्षों के वकीलों से यह बताने को कहा था कि वह दलील रखने के लिए कितना समय चाहते हैं।

कोर्ट ने उस दौरान कहा था, “हम यह देखना चाहते हैं कि हमारे पास फैसला लिखने के लिए कितना समय होगा।” जिससे यह साफ़ होता है कि कोर्ट का इशारा साफ तौर पर इस बात की तरफ था कि मामला सुन रही 5 जजों की बेंच के अध्यक्ष चीफ जस्टिस 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में तय व्यवस्था के तहत फैसला इससे पहले आना ही आना चाहिए । जबकि 18 सितंबर को सभी पक्षों के वकीलों की जिरह में लगने वाले समय की जानकारी मिलने के बाद कोर्ट ने इसे 18 अक्टूबर तक पूरा करने के लिए कह दिया था। ऐसे में उसके पास फैसला देने के लिए करीब 1 महीने का वक्त होगा, तो पूरा गाडित लगाकर हम यह मान सकते हैं कि रामलला पर फैसला 17 नवंबर से पहले आ जाएगा।