मनरेगा से सशक्त हो रही ग्रामीण महिलाएं, बदल रही जिन्दगी

Share

मनरेगा से सशक्त हो रही ग्रामीण महिलाएं, बदल रही जिन्दगी

मंडी, 22 दिसंबर (हि.स.)। मंडी जिले के छोटे से गांव कलोथर की रहने वाली कौशल्या देवी की कहानी एक ऐसी प्रेरणा है, जो हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के प्रभाव को बखूबी दर्शाती है। कौशल्या देवी ने कभी नहीं सोचा था कि मजदूरी का काम उनके जीवन को इस तरह बदल देगा। लेकिन आज वह खुश हैं क्योंकि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने मनरेगा की दिहाड़ी 240 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये करने का फैसला उनके जीवन में एक सकारात्मक मोड़ लेकर आया है।

कौशल्या देवी कहती हैं कि पहले घर चलाना मुश्किल था, लेकिन अब मनरेगा के माध्यम से जो आमदनी बढ़ी है, उससे हम अपने परिवार का अच्छा पालन-पोषण कर पा रहे हैं। मैं मुख्यमंत्री का दिल से आभार व्यक्त करती हूं, जिन्होंने इस वृद्धि से हमारी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है।

कौशल्या का कहना है कि मनरेगा ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार किया है बल्कि इसने उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी एक बड़ा कदम बढ़ाने का अवसर दिया है। उनके जैसे कई और ग्रामीण महिलाएं, जिनकी आवाज अक्सर अनसुनी रह जाती है, अब अपने परिवार की जिम्मेदारी उठाने में सक्षम हो रही हैं।

मनरेगा की दिहाड़ी में यह ऐतिहासिक वृद्धि ग्रामीण महिलाओं के लिए एक वरदान साबित हुई है। इसके चलते मंडी जिले के लगभग डेढ़ लाख से अधिक महिलाएं सीधे तौर पर लाभान्वित हो चुकी हैं। इस वृद्धि का असर न केवल महिलाओं के जीवन स्तर पर पड़ रहा है, बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है।

मंडी जिले में अब तक मनरेगा के तहत 280 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है। इसके अंतर्गत 75 लाख से अधिक कार्य दिवस अर्जित किए गए हैं, जिनमें से 52 लाख से अधिक कार्य दिवस महिलाओं ने ही अर्जित किए हैं। यह आंकड़ा इस बात का प्रतीक है कि महिलाएं अब अपने परिवार की आर्थिकी में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं।

गोहर विकास खंड की निवासी शुद्धि देवी कहती हैं कि जब से दिहाड़ी बढ़ी है, हम घर पर भी काम करते हुए अच्छा कमा पा रहे हैं। पहले हम केवल घर के काम तक ही सीमित रहते थे, लेकिन अब बाहर जाकर काम करके खुद को सशक्त महसूस करती हैं।

यह कहानी केवल कौशल्या देवी और शुद्धि देवी की नहीं, बल्कि जिले के हजारों परिवारों की है, जिन्होंने मनरेगा के माध्यम से रोजगार पाया और अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया। ग्राम पंचायत गोहर के निवासी मोहन लाल कहते हैं कि कोविड के दौरान नौकरी चली गई थी, लेकिन मनरेगा से ही अपने परिवार का पालन-पोषण किया। मुख्यमंत्री का धन्यवाद, जिन्होंने दिहाड़ी में 60 रुपये की बढ़ोतरी की, जिससे हमें काफी राहत मिली।

उपायुक्त मंडी अपूर्व देवगन ने बताया कि हमने हर संभव प्रयास किया है कि मनरेगा के तहत रोजगार की मांग करने वाले हर व्यक्ति को काम मिले। इस साल अब तक 75 लाख से अधिक कार्य दिवस अर्जित किए गए हैं और हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ेगी।

—————