फरीदकोट जिले के कोटकपूरा शहर के प्रताप सिंह नगर में मोबाइल टावर की वजह से एक परिवार को हुए लाखों रुपए के नुकसान के मुआवजे की मांग को लेकर किसान यूनियन फतेह ने रविवार से बेमियादी धरना शुरू कर दिया है। संगठन ने स्पष्ट किया है कि जब तक मोबाइल टावर कंपनी पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा नहीं देती, तब तक वे टावर को चालू नहीं करेंगे। इसके साथ ही, उन्होंने चेतावनी दी है कि भविष्य में इस कंपनी से जुड़े अन्य मोबाइल टावरों को भी बंद करवाने की कार्रवाई की जाएगी।
यह विवाद करीब डेढ़ साल पहले की घटना से जुड़ा है, जब कोटकपूरा के दशमेश पब्लिक स्कूल के निकट एक घर की छत पर लगे प्राइवेट मोबाइल टावर के कारण पड़ोसी घर की छत ढह गई। इस घटना में परिवार के सदस्य तो बाल-बाल बच गए, लेकिन घर को लाखों रुपए की क्षति हुई। इस नुकसान के बाद से पीड़ित परिवार ने सरकारी अधिकारियों से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन उनकी स्थिति पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। थक हारकर उन्होंने किसान संगठन की सहायता मांगी, जिसके परिणामस्वरूप धरने की पहल हुई।
किसान यूनियन फतेह के प्रांतीय प्रधान अमनदीप सिंह ने इस मौके पर कहा कि परिवार इंसाफ के लिए संघर्ष कर रहा है। उन्होंने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए किसानों ने टावर बंद करने का निर्णय लिया और यह धरना तब तक जारी रहेगा जब तक पीड़ित परिवार को मुआवजा नहीं मिल जाता। यदि यह समस्या हल नहीं होती है, तो संगठन कंपनी से जुड़े अन्य मोबाइल टावरों को भी बंद करवाने की कार्रवाई करेगा।
इस संबंध में पीड़ित संजीव सचदेवा का कहना है कि वे इस घटना के बाद से छह महीने से अधिक समय किराए के मकान में रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें करीब 50 लाख रुपए का नुकसान हुआ है और उनकी बात सुनने के लिए कोई सामने नहीं आया। इस स्थिति ने उन्हें और उनके परिवार को अत्यधिक मानसिक और आर्थिक तनाव में डाल दिया है। संजीव ने किसान संगठन का आभार व्यक्त किया है जिन्होंने उनकी मदद के लिए आगे आए।
किसान यूनियन का यह कदम न केवल संजीव परिवार की मदद के लिए है, बल्कि यह उन सभी परिवारों के लिए एक संदेश भी है जो सरकारी और प्रशासनिक मामलों में मदद की उम्मीद करते हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि जब तक मुआवजे का मुद्दा हल नहीं होता, तब तक किसान यूनियन संगठन अपने धरने को जारी रखेगा। यह मुद्दा स्थानीय प्रशासन के लिए भी एक चुनौती बनता जा रहा है, क्योंकि किसान संघ की सक्रियता से यह साबित होता है कि समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं।