जलालाबाद के बीडीपीओ दफ्तर में एक विवादित घटना सामने आई है, जब स्थानीय कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा के नेता अधिकारियों के समक्ष अपनी जन समस्याओं को उठाते हुए देखे गए। इन नेताओं को वहां से बाहर निकालने के लिए पुलिस ने हस्तक्षेप किया, जिसके बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई और वहां हंगामा शुरू हो गया। नेताओं ने इसे एक तरह की धक्केशाही बताया और इस पर जमकर धरना प्रदर्शन किया। उनकी शिकायतें इस ओर इशारा कर रही थीं कि लोगों को ना तो एनओसी मिल रही है और ना ही चूल्हा टैक्स की पर्ची जारी की जा रही है।
कांग्रेस नेता हंसराज जोसन और अकाली दल के जिला अध्यक्ष बब्बू जयमल वाला ने बताया कि उनकी शिकायतें लगातार बढ़ रही थीं, जिसके कारण वे बीडीपीओ दफ्तर पहुंचे थे। उनका कहना है कि उन्हें विभिन्न प्रशासनिक मुद्दों के समाधान के लिए कार्यालय में बुलाया गया था। हालांकि, उन्हें बताया गया कि बीडीपीओ के निर्देश पर वे किसी अन्य कमरे में बैठकर समस्या का समाधान करने का प्रयास कर रहे थे। अचानक जलालाबाद के डीएसपी वहां पहुंच गए, जिन्होंने पुलिस बल के साथ आकर उन्हे बाहर जाने के लिए कहा।
इस बीच, नेताओं ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ पार्टी के लोग अपने राजनीतिक प्रभाव का उपयोग करते हुए उन्हें दबाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस तरह की धक्केशाही किसी भी हालात में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी नेता इसकी रोकथाम के लिए उच्चतम न्यायालय का सहारा लेने के लिए तत्पर हैं, यदि आवश्यक हुआ, तो वे इसका सामना करेंगे। उनका स्पष्ट संदेश है कि पंचायती चुनावों के दौरान ऐसी गतिविधियों को सहन नहीं किया जाएगा।
बीडीपीओ ने अपनी तरफ से सफाई देते हुए कहा कि वे अपनी फाइलों पर लगातार काम कर रहे हैं और यदि किसी ने इस प्रक्रिया में बाधा डाली तो वह इसके लिए जिम्मेदार होगा। इस पर डीएसपी जतिंदर सिंह गिल ने कहा कि जनता को एनओसी देने की प्रक्रिया से किसी भी नेता का अलग होकर बाहर जाना आवश्यक था। उनका कहना था कि सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम उठाना जरूरी था, क्योंकि नेता खुद को कांधारक मानकर कार्यालय के अंदर बैठे हुए थे।
इस मामले ने स्थानीय राजनीति में एक नया मोड़ ले लिया है, जहां नेताओं और प्रशासन के बीच खींचतान का निर्माण हो गया है। यह घटनाक्रम जलालाबाद में प्रशासनिक पारदर्शिता और राजनीतिक दबाव के मुद्दे को और भी महत्वपूर्ण बना देता है। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन इन नेताओं की समस्याओं को सुनकर समाधान लाने में सफल होगा या स्थिति और बिगड़ जाएगी।