पंजाब के गुरदासपुर में किसान संगठनों ने लखीमपुर खीरी मामले के आरोपियों को सजा दिलाने, मंडियों में बासमती और धान के दामों में कमी को लेकर और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग को लेकर एक महत्वपूर्ण धरना दिया। यह धरना संयुक्त किसान मोर्चा और गैर राजनीतिक किसान मजदूर संघर्ष समिति द्वारा मिलकर आयोजित किया गया। धरना गुरदासपुर रेलवे स्टेशन के ट्रैक पर हुआ और यह लगभग दो घंटे तक चला। इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।
धरने के दौरान, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता सुखदेव सिंह भोजराज ने न्याय का मुद्दा उठाते हुए कहा कि लखीमपुर खीरी की घटना को वर्ष बीत चुके हैं, फिर भी आरोपियों को सजा नहीं मिली है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए किसानों ने आज का रेल रोको आंदोलन किया है। उन्होंने कहा कि तीन साल बीतने के बाद भी लखीमपुर खीरी के पीड़ितों को कोई न्याय नहीं मिला है, जो किसानों के लिए बेहद निराशाजनक है।
सुखदेव सिंह ने फसलों के मूल्य में कमी को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि सरकार ने किसानों को बासमती की खेती के लिए प्रेरित किया है, लेकिन मंडियों में बासमती के दाम बहुत कम मिल रहे हैं। यह स्थिति किसानों के लिए चिंताजनक बन गई है। उन्होंने उल्लेख किया कि किसान फसल की पैदावार अपने सामर्थ्यानुसार कर रहे हैं, लेकिन उचित दाम न मिलने के कारण महान मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से अपील की कि किसान पर जुरमाना लगाने और उनकी रेड एंट्री कराने की बजाय पराली की समस्या का सटीक हल निकाला जाए।
किसान नेताओं ने धरने के बाद यह जानकारी दी कि वे जल्द ही अपनी अगली रणनीति की घोषणा करने वाले हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार इसी प्रकार किसानों की मांगों को नजरअंदाज करती रही, तो इसका परिणाम गंभीर हो सकता है। सुखदेव सिंह ने कहा कि किसानों में इस बात को लेकर भारी आक्रोश है, जो सरकार के खिलाफ उभरकर सामने आ सकता है। उन्होंने इस धरने को एक संकेत के रूप में देखा, कि किसान संगठन सरकार की उपेक्षा के खिलाफ एकजुट हैं।
वहीं, स्टेशन मास्टर राजेश कुमार ने बताया कि इस धरने के कारण ट्रेन यातायात पर कोई गंभीर असर नहीं पड़ा, केवल एक डीएमयू ट्रेन को ही रोका गया है जबकि अन्य ट्रेनों का संचालन सामान्य रूप से किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि शेष गाड़ियों का आंदोलन के समय होने के कारण उन्हें कोई असुविधा नहीं हुई। इस प्रकार, किसान संगठनों का यह धरना एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जो उनकी आवाज को उठाने और उनकी समस्या के समाधान की दिशा में एक कदम और बढ़ाने की कोशिश है।