किसानों ने आज पंजाब और हरियाणा में फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी सुरक्षा और लखीमपुर खीरी मामले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान किसान करीब 36 स्थानों पर रेलवे ट्रैक पर बैठ गए, जिससे दो घंटे का यह धरना दोपहर 12:30 बजे से लेकर 2:30 बजे तक चला। इस प्रदर्शन के कारण कई ट्रेनें प्रभावित हुईं, जिससे आम लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। यह प्रदर्शन गैर राजनीतिक संगठन संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर संगठन के बैनर तले आयोजित किया गया था। धरना देने वाले किसानों ने चंडीगढ़, अंबाला, अमृतसर, लुधियाना और जम्मू रूट पर ट्रैक को पूरी तरह से रोक दिया था।
किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने केंद्र सरकार और बीजेपी के नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि यह किसान आंदोलन किसानों को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री रवनीत बिट्टू और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनोट पर आरोप लगाया कि वे किसानों को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। पंधेर ने महत्त्वपूर्ण सवाल उठाया, अगर लखीमपुर खीरी में भाजपा नेता के करीबी लोगों की मौत होती, तो क्या प्रतिक्रिया होती। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर सरकार ने समय रहते आढ़तियों और श्रमिक संगठनों की मांगें नहीं मानीं, तो किसान इस आंदोलन में और भी अधिक सक्रिय होने वाले हैं।
इस दौरान, भारतीय किसान यूनियन की ओर से हरजिंदर सिंह ने बताया कि लखीमपुर खीरी में किसानों को पिछले तीन सालों से न्याय नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि वहां के भाजपा नेता के बेटे द्वारा कई किसानों को कुचले जाने के बाद स्थिति को देखते हुए रेलवे ट्रैक रोकने का निर्णय लेना पड़ा। शंभू बॉर्डर सहित पटियाला, लुधियाना, बठिंडा और फिरोजपुर में भी किसानों ने अपनी मजबूरी बताते हुए रेल ट्रैक पर प्रदर्शन किया, यह बताते हुए कि वे लोगों की मुश्किल को समझते हैं।
इस साल किसानों द्वारा रेलवे ट्रैक रोकने का यह तीसरा अवसर था। इससे पहले उन्होंने 15 फरवरी को अमृतसर में और फिर 16 अप्रैल को शंभू ट्रैक पर प्रदर्शन किया था, जो करीब 34 दिनों तक चला। इस बीच, रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के सीनियर डीएसपी अरुण कुमार त्रिपाठी ने सभी प्रभारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस की बैठक की और सभी को सतर्क रहने का आदेश दिया। RPF पूरी तरह से रेलवे ट्रैक और स्टेशनों पर तैनात रहेगी, जबकि खुफिया एजेंसियां भी इस स्थिति पर ध्यान दे रही हैं।
केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू ने किसानों के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रेलवे ट्रैक रोकने का नुकसान किसानों को खुद उठाना पड़ेगा। इस पर किसान नेताओं ने जवाब देते हुए कहा कि उनका आंदोलन लखीमपुर खीरी में मारे गए चार किसानों और पत्रकार के लिए न्याय की मांग करने के लिए है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि जिस सरकार में बिट्टू मंत्री हैं, उसी ने आरोपियों को मंत्री के पद पर बनाए रखा है। इस प्रकार, यह आंदोलन न केवल कृषि नीतियों को लेकर है, बल्कि किसानों के न्याय की भी मांग कर रहा है।