गुरू पूर्णिमा के पूर्व संध्या पर काशी के मठ और आश्रम गुलजार

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02HREG113 गुरू पूर्णिमा के पूर्व संध्या पर काशी के मठ और आश्रम गुलजार

– मठ-मंदिर सजे, दूर दराज के भक्त गुरूवंदन के लिए पहुंचने लगे

वाराणसी, 02 जुलाई (हि.स.)। काशीपुराधिपति की नगरी में गुरू आराधना के पर्व गुरू पूर्णिमा को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह है। पर्व के पूर्व संध्या पर ही गुरूपीठों, मठों, मंदिरों के साथ आश्रम गुलजार है। मठ-मंदिरों में साफ-सफाई रंग-रोगन के बाद सजावट भी की गई है। दूर दराज के प्रांतों और जिलों से श्रद्धालु अपने गुरूपीठ में पहुंचने लगे हैं। संत मत अनुयायी आश्रम मठ गड़वाघाट, शिवाला रविन्द्रपुरी स्थित बाबा कीनाराम स्थली क्रीं कुंड, सर्वेश्वरी समूह आश्रम पड़ाव में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ने लगा है। महाश्मशान मणिकर्णिका घाट स्थित सतुआ बाबा आश्रम, खोजवां कश्मीरीगंज स्थित राममंदिर, पटिया स्थित अष्टादशभुजा मंदिर में भी चहल-पहल है।

गौरतलब हो कि आषाढ़ माह की पूर्णिमा (गुरु पूर्णिमा) के दिन ही चारों वेदों का ज्ञान देने वाले महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। इस दिन को व्यास जयंती भी कहते हैं। इस दिन ही गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। इसलिए बौद्ध धर्म को मानने वाले श्रद्धालु भी गुरु पूर्णिमा पर्व मनाते हैं। गुरू पूर्णिमा की शुरूआत रविवार रात 8 बजकर 21 मिनट से हो रही है। इसका समापन सोमवार को शाम 5 बजकर 8 मिनट पर होगा। ऐसे में सनातन परम्परा में गुरू पूर्णिमा सोमवार को मनाया जायेगा।

ज्योतिष विदों के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन दो विशेष योग बन रहे हैं। पहला ब्रह्म योग 2 जुलाई शाम 7.26 बजे से लेकर 3 जुलाई 3.35 बजे तक रहेगा। जबकि दूसरा योग इंद्र योग है। यह योग 3 जुलाई अपराह्न 3.45 बजे से 4 जुलाई को पूर्वाह्न 11.50 बजे तक रहेगा।

शिव आराधना समिति के डॉ मृदुल मिश्र बताते हैं कि प्राचीन काल से हमारे समाज ने गुरु की महत्ता को माना है। ‘गुरु बिन ज्ञान न होहि’ के मंत्र को भारतीय समाज ने अंगीकार किया है। मां बालक की प्रथम गुरु होती है। क्योंकि बालक उसी से सर्वप्रथम सीखता है। भगवान दत्तात्रेय ने भी अपने चौबीस गुरु बनाए थे। संत कबीर ने लिखा है ‘गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये,यह दोहा गुरू के महत्व को बताता है। डॉ मिश्र ने कहा कि केवल गुरु ही नहीं बल्कि अपने से बड़े और अपने माता-पिता को गुरु तुल्य मानकर उनसे सीख लेनी चाहिए और उनका हमेशा सम्मान करना चाहिए।

-शहर में गुरू पूर्णिमा पर कार्यक्रम

सर्वेश्वरी समूह आश्रम पड़ाव, संत मत अनुयायी आश्रम मठ गड़वाघाट, बाबा कीनाराम स्थली क्रीं कुंड में मेला लगता है। पर्व पर संत मत अनुयायी आश्रम मठ गड़वाघाट में सद्गुरु स्वामी सरनानंद आश्रम में महापुरुषों का पादुका पूजन करेंगे। इसके बाद गुरु पूर्णिमा महोत्सव शुरू होगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी गुरूपूर्णिमा को धूमधाम से मनाने की तैयारी में जुटा है। आरएसएस की परम्परा में भगवाध्वज ही गुरू है। इस दिन सभी स्वयंसेवक भगवाध्वज को फूल, रोरी व अच्छत से पूजन कर अपने गुरू अर्थात भगवाध्वज को प्रणाम करते हुए उनके सम्मुख अपनी समर्पित राशि अर्पित करेंगे।

इसी क्रम में अघोरपीठ क्रीं कुंड में सुबह आरती.श्रमदान के बाद प्रभात फेरी निकलेगी। पीठाधीश्वर सिद्धार्थ गौतम राम अघोरेश्वर समाधियों का पूजन करेंगे। सुबह 9.30 बजे से भक्तों को दर्शन देंगे। पड़ाव स्थित अघोर पीठ में सुबह सर्वेश्वरी ध्वजोत्तोलन व सफलयोनि पाठ के बाद सुबह 7.30 बजे गुरु पूजा आरंभ होगी। मणिकर्णिकाघाट स्थित सतुआ बाबा आश्रम में प्रथम सतुआबाबा रणछोड़ दास एवं षष्ठपीठाधीश्वर यमुनाचार्य महाराज की चरण पादुका पूजन से उत्सव प्रारम्भ होगा।

इसी क्रम में भदैनी स्थित प्राचीन शिव हनुमान मंदिर में दो दिवसीय गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन किया गया है। हनुमान मंदिर के महंत डॉ श्रवण दास महाराज के अनुसार गुरु पूर्णिमा महोत्सव का शुभारंभ प्रातः 09 बजे चरण पादुका पूजन से होगा। इस अवसर पर भजन कीर्तन एवं भव्य भंडारा भी होगा।