02HREG125 याचक नहीं, सम्मान के अधिकारी हैं स्वतंत्रता सेनानी परिवारः जितेन्द्र रघुवंशी
हरिद्वार, 02 जुलाई (हि.स.)। विभिन्न राज्यों में चलाए जा रहे प्रत्येक महीने के प्रथम रविवार को 10 बजे 10 मिनट अपने पूर्वजों के नाम अभियान के अंतर्गत रविवार को हरिद्वार जनपद में अमर शहीद जगदीश वत्स पार्क में अमर शहीद जगदीश वत्स के चित्र पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारत भूषण विद्यालंकार, आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुनील कुमार जोशी, मुरली मनोहर, डॉ नरेश कुमार चौधरी तथा प्रसिद्ध समाजसेवी जगदीश लाल पाहवा व उपस्थित परिवारों द्वारा पुष्पांजलि अर्पित की गई।
इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति के राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्र रघुवंशी ने कहा कि यह कार्यक्रम आज पूरे देश में एक साथ सम्पन्न हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम याचक नहीं हैं, बल्कि अपना सर्वस्व न्यौछावर करके देश को पराधीनता की बेड़ियों से मुक्त कराने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवार हैं, जिन्होंने शिक्षा-दीक्षा से लेकर जीवन निर्वाह तक का दंश सबसे अधिक झेला है। इसलिए स्वतंत्रता सेनानी परिवार सम्मान के अधिकारी हैं, लेकिन दुःख तब होता है जब इनकी तुलना राजनीतिक सत्ता के लिए संघर्ष करने वालों से की जाती है। आज हम अपने पूर्वजों के सम्मान तथा अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए इन कार्यक्रमों के माध्यम से देश भर के सेनानी परिवारों को संगठित करने का प्रयास कर रहे हैं।
उत्तराखंड आयुर्वेद विवि के कुलपति डॉ. सुनील जोशी ने अपने पिता स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं. दुर्गा दत्त जोशी का जीवन परिचय बताया कि सन 1941 में उनके पिताजी को स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी करने पर एक वर्ष के कठोर कारावास तथा 25 रुपये का जुर्माना लगाया गया था। एक बार बरेली जेल में सभी क्रान्तिकारियों ने भूख हड़ताल करने का निश्चय किया, अधिकांश वृद्ध क्रान्तिकारी थे, उनके पिता ने उनकी वृद्धावस्था को देखते हुए उन्हें ऐसा करने से मना किया, पर वे नहीं माने। तीन दिन व्यतीत होते ही सभी अशक्त होने लगे, ऐसी स्थिति में घुड़साल में घोड़ों के लिए बनाई गई सूखी रोटियां तथा चना चुग कर खाने के लिए विवश हुए। इन जैसे अमर सेनानी बदौलत आज हमारा देश स्वतंत्र है।