31HREG115 स्वाधीनता का सम्पूर्ण एवं प्रेरक इतिहास विषय पर गोष्ठी का आयोजन
हरिद्वार, 31 मार्च (हि.स.)। एसएमजेएन पीजी कॉलेज में शुक्रवार को आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ द्वारा जी-20 के सन्दर्भ में स्वाधीनता का सम्पूर्ण एवं प्रेरक इतिहास विषयक एक दिवसीय गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी में मुख्य वक्ता डॉ. सदानंद दामोदर ने स्वाधीनता के अमृतोत्सव कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 1857 से पहले भी स्वाधीनता के प्रयास हुए, इसलिए 1857 का स्वतंत्रता संग्राम पहला स्वतंत्रता संग्राम कहना सही नहीं है। इससे पहले भी संन्यासी विद्रोह, आनन्द मठ आदि संग्राम हुए हैं। उन्होंने कहा कि वीरबाला कनक लता बरूआ जो कि असम की किशोरी थी जो 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में तिरंगा लेकर चली और शहीद हो गयी। उन्होंने बताया कि समाज में सभी वर्गों द्वारा स्वाधीनता के प्रयास हुए हैं, जबकि अंग्रेजों द्वारा यह नैरेटिव चलाया गया कि स्वतंत्रता आन्दोलन केवल अभिजातीय वर्ग का आन्दोलन था। बाजीराव जोकि ओडिशा के 12 वर्ष के बालक थे, वानर सेना के सदस्य थे और अंग्रेजों को स्वाधीनता संग्राम के क्रान्तिकारियों तक पहुंचने में रोकने के प्रयास में बन्दूक की गोली से शहीद कर दिये गये। इसके अतिरिक्त आदिवासी तथा जनजातीय समूहों का भी अंग्रेजों के विरूद्ध संग्राम में अविस्मरणीय योगदान रहा। अंग्रेजों के भारत छोड़ने का कारण 1942 के आस-पास सैनिक विद्रोह भी है। उन्होंने कहा कि हमारा कर्तव्य प्राप्त स्वाधीनता की रक्षा कर देश को ऊंचा उठाना है।
प्राचार्य प्रो. सुनील बत्रा ने सभी अतिथियों का स्वागत प्रेषित करते हुए कहा कि इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारियां जो विलुप्त हैं उनको विश्व के सामने लाने के लिए इतिहास के पुर्नलेखन की आवश्यकता है।