भारत की पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने में मप्र देगा 550 बिलियन डॉलर का योगदानः शिवराज

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नीति आयोग की शासी परिषद की बैठक में शामिल हुए मुख्यमंत्री

अगले एक वर्ष में राज्य में एक लाख सरकारी पदों पर होगी भर्ती

भोपाल, 7 अगस्त (हि.स.)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 21वीं सदी के आत्म-निर्भर भारत के प्रधानमंत्री मोदी के व्यापक विजन को ध्यान में रखकर मध्यप्रदेश आगे बढ़ रहा है। भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थ-व्यवस्था बनाने के लिए मध्यप्रदेश 550 बिलियन डॉलर का योगदान करेगा।

मुख्यमंत्री चौहान रविवार को राष्ट्रपति भवन में नीति आयोग की शासी परिषद की 7वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की। उन्होंने कहा कि एक भारत-श्रेष्ठ भारत के निर्माण में नीति आयोग की बड़ी भूमिका है। नीति आयोग किस तरह राज्यों की ताकत बनता है, मध्यप्रदेश उसका ज्वलंत उदाहरण है।

मप्र ने हासिल की 19.74 प्रतिशत विकास दर

नीति आयोग की शासी परिषद की 7वीं बैठक में मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2020 में ही आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का रोडमेप विकसित कर लिया गया था। मध्य प्रदेश ने वर्ष 2021-22 में 19.74 प्रतिशत की विकास दर हासिल की है। प्रदेश सकल घरेलू उत्पाद का 4 प्रतिशत पूंजीगत व्यय कर रहा है और वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पूंजीगत व्यय के लिए 48 हजार 800 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो अब तक का सर्वाधिक है। उन्होंने बताया कि रोजगार हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है और अगले एक वर्ष में एक लाख सरकारी पदों पर भर्ती की जायेगी।

कृषि विविधीकरण और प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन

चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के फसल विविधीकरण दृष्टिकोण से प्रेरणा लेते हुए प्रदेश में सरसों और ग्रीष्मकालीन मूंग के रकबे में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मध्यप्रदेश में गेहूं और धान के स्थान पर दाल, रागी जौ, मोटे अनाज, कोदो-कुटकी, रामतिल, तिल, मसाले, औषधीय फसलें, फलों और सब्जियों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना में आईटीसी, पतंजलि, देहात जैसी प्राइवेट कम्पनियों से एक लाख 86 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कृषि विविधीकरण में 13 प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिनमें से दो प्रस्तावों को स्वीकृति दे दी गई है। राज्य सरकार ने देवारण्य योजना प्रारंभ की गई है, जिसमें तीन वर्ष में 10 हजार हेक्टेयर भूमि में औषधीय पौधों का उत्पादन किया जाएगा।

डिजिटल एग्रीकल्चर के प्रयोग

मुख्यमंत्री ने बताया कि फसल बीमा पंजीयन को राज्य के लैण्ड रिकार्ड से जोड़ा गया है, जिससे ओवर और डुप्लीकेट इन्श्योरेंस को रोकने में सफलता मिली है। बीमा भुगतान में उपज आकलन के लिए सेटलाइट आधारित रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। प्रौद्योगिकी के इन प्रभावी उपयोग से कृषि सेक्टर में लगभग 2500 करोड़ रुपये की बचत संभावित है। किसानों और राजस्व अमले की सुविधा के लिए ई-गिरदावरी एप्लीकेशन लागू कर दिया गया है। किसानों को अपनी उपज का विक्रय अपने घर से उचित मूल्य पर करने के लिए “फार्म गेट एप” भी विकसित किया गया है। प्रदेश में कृषि यंत्रों में सबसिडी का भुगतान ई-रूपी व्हाउचर से करने का निर्णय लिया गया है।

सुशासन के क्षेत्र में विशेष पहल

उन्होंने बताया कि देश में पहली बार प्रदेश में राज्य सांख्यिकीय आयोग का गठन किया गया है, जिसके द्वारा विकासखण्ड से लेकर राज्य स्तर तक आंकड़ों को एकत्र करने और उनका विश्लेषण करने का कार्य किया जायेगा। नीति आयोग के सहयोग से मध्यप्रदेश नीति एवं योजना आयोग में एक वर्टिकल बना कर विभिन्न योजनाओं के प्रभाव आकलन हेतु विशेष कदम उठाये गये हैं। प्रदेश में 50 आकांक्षी विकासखण्डों का निर्धारण कर उनके विकास का तंत्र विकसित किया गया है। प्रदेश में नई जल नीति और नई सहकारिता नीति का भी निर्माण किया जा रहा है। चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के संकल्पों को साकार करने की दिशा में मध्यप्रदेश कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखेगा। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में हम नेशनल एजेंडा के सभी लक्ष्य हासिल करेंगे।