धैर्य और हिम्मत के साथ रखें सकारात्मक सोच, घबराएं नहीं

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हल्द्वानी : जज फार्म में रहने वाली डॉ मंजू पांडेय उदिता पेशे से शिक्षिका हैं। उनका नियमित स्कूल आना जाना होता था। बच्चों, अभिभावकों से संपर्क तो रहता ही था साथ ही आते-जाते बाज़ार से दैनिक उपयोग का सामान खरीदते हुए आती थी। ताकि बार-बार भीड़ में जाने से बच सकें। 11- 12 अप्रैल को इनको थोड़ा ज़ुकाम, गले में खराश और सिरदर्द फिर बदन दर्द हुआ। उन्होंने बिना हीलाहवाली के स्वीकार कर लिया कि उन्हें कोरोना हो गया है। उन्होंने ख़ुद को घर पर ही आइसोलेट कर लिया।

दो दिन के भीतर ही उनके दोनों बेट, 90 साल की सास की तबीयत भी खराब हो गई। चारों घर के चार कमरों में अलग थलग रहने लगे। स्थिति यह थी कि कौन किसे सम्भाले और कौन खाने की व्यवस्था और चाय पानी करे। उदित और सास की हालत बहुत खराब थी। बुखार दवा खाकर उतरता फिर हो जाता l उनके छोटे बेटे को अस्थमा की समस्या है, वह कभी- कभार इन्हीलर का प्रयोग भी करता है। अंदर से सभी सब एक-दूसरे के लिए चिंतित थे, पर सामने हिम्मत बढ़ाते। उन्होंने फ़ेसबुक, टीवी न्यूज से दूरी बना ली। मनपसंद संगीत, मूवीज, और लाफ्टर शो देखे, ताकि नकारात्मकता न घेर सके l बेटों ने ही उदित और दादी को सम्भाला।

सुबह-शाम काढ़ा, गर्म पानी में नींबू डालकर दिन में बार-बार पीया और दिन में चार बार स्टीम ली, हल्दी वाला दूध, हल्दी वाला पानी पिया l टेम्परेचर और आक्सीजन लेवल चेक करते रहते थे l उनकी कोशिश थी कि किसी भी तरह इन्फेक्शन को गले से नीचे जाने से रोका जाए औऱ इसमें सभी सफल रहे l लक्षण सभी में एक जैसे थे। उन्होंने टेस्ट कराया था, जिसकी रिपोर्ट 11 दिन बाद पॉजिटिव आई। पर वह रिपोर्ट के भरोसे नहीं रहीं। पहले दिन से ही खुद को कोरोना संक्रमित मानकर दवाइयाँ लेना शुरू कर दिया।

धैर्य, हिम्मत,सकारात्मक सोच और कोरोना गाईड लाइन का पालन कर अब सभी कोरोना संक्रमण से उबर गए हैं। उदिता का कहना है कि वह, सास, दोनों बेटे घर पर ही ठीक हुए हैं। इसलिए घबराएं नहीं, धैर्य और हिम्मत के साथ-साथ  सकारात्मक सोच रखें, नकारात्मकता से दूर रहें l शुरुआत से ही इम्युनिटी बूस्टर, घरेलु उपचार के साथ दवा नियमित लेते रहें, बहुत जल्दी ठीक हो जाएंगे l