उत्तराखंड की 20वीं सालगिरह पर त्रिवेंद्र रावत बोले- विकास के लिए तैयार की मजबूत नींव…

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देहरादून। उत्तराखंड अपनी स्थापना के 20 वर्ष पूर्ण कर 21 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। इस अवधि में राज्य ने काफी कुछ हासिल किया, तो तमाम क्षेत्रों में बहुत कुछ होना अभी बाकी है। हालांकि विकास एक सतत प्रकिया है और देशकाल परिस्थितियों के अनुरूप इसमें नित नई चुनौतियां सामने आती रहती हैं। वर्तमान में भी कोरोना संकट के कारण एक नहीं, अनेक चुनौतियां राज्य के सामने हैं। राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती है, तो विकास की गति को बरकरार रखने की भी। कोरोना के कारण अन्य राज्यों से अपने घरों को लौटे प्रवासियों के लिए स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती है। राज्य के अब तक के सफर और भविष्य की चुनौतियों समेत तमाम सामयिक विषयों पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बातचीत की।

 उत्तराखंड आज 20 साल का हो गया। आपके नजरिये से इस अवधि में राज्य के समक्ष क्या चुनौतियां रहीं।

राज्य के सामने सबसे बड़ी चुनौती प्राकृतिक संसाधनों के उचित इस्तेमाल की रही है। प्रकृति ने जो संसाधन हमें दिए हैं, उनका कैसे राज्य हित में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें, इसके लिए सुविचारित रणनीति की दरकार थी। प्रदेश में अब तक रोजगार के नाम पर सरकारी नौकरी वाला वातावरण ही बनाया गया। चुनावी फायदे के लिए सब जनता को आश्वस्त करते रहे कि जब सत्ता में आएंगे, तो सरकारी नौकरियां देंगे। सरकारी नौकरियां बेहद सीमित हैं। हमारा ध्यान स्वरोजगार की ओर होना चाहिए था।

प्रदेश में पर्यटन, साहसिक पर्यटन तथा प्राकृतिक उत्पादों के जरिये स्वरोजगार की असीम संभावनाएं हैं। सोलर पावर स्वरोजगार का बहुत बड़ा जरिया है, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। इस क्षेत्र में अगर थोड़ा-बहुत काम हुआ, तो यह मैदानी जिलों में खेती की कीमत पर हुआ। सोलर पावर का काम ऐसी जमीनों पर हुआ, जहां अच्छी खेती होती थी। होना यह चाहिए था कि जो खेत वर्षों से बंजर पड़े हुए हैं, वहां पर सोलर फार्मिंग की जाती। पर्यटन के आधारभूत ढांचे के विकास पर जो ध्यान दिया जाना चाहिए था, वह नहीं दिया गया। पलायन की बात सभी ने की, लेकिन यह कैसे थमेगा, इसके लिए न कोई अध्ययन किया गया और न ही इसे लेकर रणनीति बनी। अब हमने इस दिशा में काम शुरू किया है। 

अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियां क्या मानते हैं।

स्वास्थ्य के क्षेत्र में आज अटल आयुष्मान उत्तराखंड योजना बड़ी महत्वपूर्ण योजना है। इससे प्रदेश का हर तबका लाभान्वित हो रहा है। प्रदेश सरकार ने तीन मेडिकल कॉलेज स्वीकृत कराने के साथ ही इनके लिए केंद्र से धनराशि भी आवंटित कराई। प्रदेश में तीन साल पहले कुल तीन अस्पतालों में आइसीयू थे, आज हर जिले में आइसीयू है। तीन वर्षों में डॉक्टरों की संख्या 1034 से बढ़कर 2500 हो गई है।

हमने इनकी संख्या ढाई गुना बढ़ाई है। अभी 720 डॉक्टरों की भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। एक हजार नर्सों की भर्ती भी की जा रही है। सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में समान शिक्षा पद्धति लागू की है। 500 स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेस की व्यवस्था की गई है, 700 में काम चल रहा है। सड़कों के निर्माण के लिए प्रदेश को सम्मानित किया गया है। विषम भूगोल वाले राज्य में तमाम तरह की दिक्कतों के बावजूद हर घर बिजली पहुंचाने का काम किया। अब हर घर में नल पहुंचा रहे हैं। सरकार ने बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र को प्राथमिकता में रखा। 

डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव हैं, आपने इसके लिए क्या रोडमैप तैयार किया है।

प्रदेश सरकार ने विकास के लिए मजबूत नींव तैयार की है। कुछ ईंटें भी रख दी गई हैं। अब मजबूत नींव पर भवन खड़ा करने का काम चल रहा है। वर्तमान में सरकार के सामने सबसे बड़ा मुद्दा ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण का है। यहां आने वाले समय में भारी निवेश करना होगा। गैरसैंण उत्तराखंड की पीड़ा भी है। यह दूरस्थ क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। गैरसैंण राज्य आंदोलनकारियों व वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की आत्मा की आवाज है। गैरसैंण का विकास हमारे सामने सबसे बड़ा लक्ष्य है।

उत्तराखंड में डबल इंजन कितनी तेजी से दौड़ा।

निश्चित रूप से हमें इसका फायदा मिला है। प्रदेश में कुछ वर्षों पहले तक हर माह रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट नहीं मिल रही थी। 14 वें वित्त आयोग ने हमें कुछ नहीं दिया। अब हर महीने 450 करोड़ रुपये मिल रहे हैं। यह सालाना पांच हजार करोड़ से ज्यादा बनता है। छह साल में 30 हजार करोड़ से ज्यादा होगी यह धनराशि। केंद्र के साथ ही उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा की सरकार का फायदा यह हुआ कि वर्ष 2011 से जो पेंशन की धनराशि नहीं मिल रही थी, आज उत्तर प्रदेश से सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन के दो सौ से ढाई सौ करोड़ रुपये सालाना मिल रहे हैं। ऑलवेदर चार धाम सड़क परियोजना और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का निर्माण कितनी तेजी से हो रहा है, आप देख ही रहे हैं। यह डबल इंजन की सरकार का ही तो असर है।

विकास की योजनाओं के साथ पर्यावरण संरक्षण का संतुलन साधना कितना अहम है। 

हमारी सरकार इस बात का पूरा ध्यान रख रही है। पर्यावरण के नाम पर विकास योजनाओं का विरोध करने वाले लोग एकांगी विचार कर रहे हैं, उन्हें संपूर्णता में विचार करना चाहिए। उत्तराखंड में, जहां 71 प्रतिशत वन क्षेत्र है, हर व्यक्ति पर्यावरण की कीमत जानता है। किसी को हमें पर्यावरण संरक्षण की बात सिखाने की जरूरत नहीं है। प्रदेश के जनमानस में पर्यावरण के प्रति प्रेम है। हमारा उद्देश्य संतुलित विकास है। 

राज्य में विपक्ष की भूमिका को आप किस नजरिये से देखते हैं।

विपक्ष की कोई भूमिका ही नहीं नजर आ रही है। हां, अब चुनाव का वक्त आ रहा है तो आजकल वे उल्टी सीधी गतिविधियां कर रहे हैं। विपक्ष आपस में लड़ रहा है। 

आपकी टीम में पांच मंत्री कांग्रेस पृष्ठभूमि के हैं, इससे किसी तरह की दिक्कत महसूस हुई।

सभी भाजपा में आए हैं। सभी ने भाजपा स्वीकार की है। मैं उन्हें कांग्रेसी नहीं, भाजपाई ही समझता हूं।