नवरात्रि के बाद सपा में बड़ा फेरबदल: 22 जिलों में नए चेहरे होंगे जिलाध्यक्ष!

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समाजवादी पार्टी (सपा) उत्तर प्रदेश में अपने संगठन को सशक्त बनाने की दिशा में गंभीरता से कदम बढ़ा रही है। नवरात्रि के बाद पार्टी कई जिलाध्यक्षों में बदलाव करने की योजना बना रही है। इस अभियान के तहत, पार्टी ने जिलों के नेताओं से फीडबैक लेना शुरू कर दिया है। नए जिलाध्यक्षों के चयन में जातीय समीकरण और संभावित दावेदारों की सक्रियता का खास ध्यान रखा जाएगा। आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सपा संगठन में यह फेरबदल किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, नवरात्रि के बाद लगभग 20 से 25 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में बदलाव होगा।

सपा के मौजूदा जिलाध्यक्षों में ओबीसी का अच्छा खासा प्रतिनिधित्व है, जिसमें 55% ओबीसी शामिल हैं। इनमें से 22 यादव हैं, जो कुल ओबीसी की संख्या का आधा हिस्सा बनाते हैं। इस बीच, दलितों की भूमिका सीमित रही है, केवल 4 जिलाध्यक्ष हैं जो कि दलित समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालाँकि, पार्टी अब दलित और अन्य ओबीसी चेहरों को आगे लाने की सोच रही है। वर्तमान में पार्टी पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को महत्व दे रही है, जिससे यादवों की भागीदारी में कमी आ सकती है और कुर्मी, राजभर, और निषाद समाज के साथ-साथ अन्य जातियों को मौका मिलने की उम्मीद है।

सपा का लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करना है, और इसे ध्यान में रखते हुए नई जिलाध्यक्षों की सूची में पीडीए फॉर्मूले को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे पार्टी को दलित समुदाय के प्रतिनिधित्व में वृद्धि करने का अवसर मिलेगा, विशेषकर उन जिलों में जहाँ दलितों का प्रभाव अधिक है। सपा की यह भी योजना है कि अल्पसंख्यक समुदाय के उम्मीदवारों को भी कुछ जिलों में मौका दिया जाए। इसके अलावा, स्वर्ण समाज के लिए भी छोटे स्तर पर प्रतिनिधित्व जोड़े जाने की संभावना है।

पार्टी में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का कार्यकाल आमतौर पर निश्चित नहीं होता है। यह पार्टी के नेतृत्व के विवेक और संगठनात्मक आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। सामान्यत: जिलाध्यक्षों का कार्यकाल 2 से 3 वर्षों का होता है, लेकिन चुनावी रणनीति या प्रदर्शन में कमी के कारण इन्हें पहले भी बदलने का विकल्प मौजूद रहता है। सपा के नए जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया पिछले वर्ष मार्च में शुरू हुई थी, तब 25 जिलों में बदलाव किए गए थे।

पार्टी के सूत्रों का कहना है कि मई में संगठन में फेरबदल की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद सपा पंचायत चुनावों की तैयारी में जुट जाएगी, जिससे नए जिलाध्यक्षों को 2027 के चुनावों की तैयारी का पूरा मौका मिल सके। एक पार्टी नेता ने बताया कि संसद का सत्र समाप्त होने के बाद, सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव संगठन को लेकर मंथन करेंगे। हालाँकि, पार्टी प्रवक्ता मनोज यादव ने बड़े बदलाव की जानकारी से इनकार किया है, उनका कहना है कि यदि कोई तब्दीली होगी, तो उस पर उच्च कमान अंतिम निर्णय लेगा।

इस बीच, उत्तर प्रदेश में हालात पूरी तरह से क्रांति की ओर अग्रसर हैं। हालिया हत्याकांडों ने राजनीतिक और सामाजिक तापमान को और बढ़ा दिया है। यह सब घटनाएं सपा के लिए चुनौती साबित हो सकती हैं, जिस पर उसे ध्यान देने की आवश्यकता होगी।