मालिनी अवस्थी का लोकगीत बना वैश्विक सनसनी, बोलीं- पूर्वजों के गीत पहुंचाना है असली मकसद!

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प्रसिद्ध लोक गायिका और पद्म श्री से सम्मानित मालिनी अवस्थी ने हाल ही में कोक स्टूडियो भारत के लिए ‘होली आए रे’ गाना गाया है। यह लोकगीत Spotify के ग्लोबल टॉप 100 में स्थान बनाने में सफल रहा है, जो इसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बनाता है। इस गाने की लोकप्रियता ने भारतीय लोक संगीत को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई है। मालिनी अवस्थी ने दैनिक भास्कर के साथ एक खास बातचीत में कहा कि उनका उद्देश्य अपने पूर्वजों के लोक गीतों की विरासत को जन-जन तक पहुंचाना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें नाम-यश या पैसे की तलाश नहीं है, बल्कि वे इस क्षेत्र में अपने गीतों के जरिए अपनी संस्कृति का प्रचार करने आई हैं।

मालिनी ने इस बातचीत में सवाल-जवाब के माध्यम से अपनी गायकी के बारे में भी चर्चा की। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने अपनी गायकी को आधुनिक स्वरूप में क्यों नहीं ढाला है, तो उन्होंने उत्तर दिया कि जब एक कलाकार को अपने संगीत में ईमानदारी और गंभीरता होती है, तो वहां मिलावट नहीं होती। उनका मानना है कि वर्तमान समय में संगीत इंडस्ट्री बाजार की मांग के अनुसार ढल गई है, लेकिन उन्होंने अपने कार्य को शुद्धता के साथ करने का संकल्प लिया है। मालिनी ने कहा कि इस क्षेत्र में उनका एकमात्र उद्देश्य लोक गीतों को संरक्षित और प्रस्तुत करना है, ताकि आने वाली पीढ़ियां भी उनके महत्व को समझ सकें।

मालिनी अवस्थी ने बताया कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ सहयोग किया है, और हाल ही में कोक स्टूडियो के लिए विशाल मिश्रा के साथ उनका सहयोग भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कोक स्टूडियो का एक विस्तृत दर्शक वर्ग है, जिसमें युवा भी शामिल हैं। उन्होंने ‘होली आए रे’ गाने की विशेषता को समझाते हुए बताया कि यह गाना प्रेम, परिवार और त्योहारों के मज़े का प्रतीक है, और इसकी रचनात्मकता ने युवाओं को लोक संगीत की ओर आकर्षित किया है, जो एक अच्छी संकेत है।

लोक संगीत पर संजीदगी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का एक अनमोल हिस्सा है, जिसे आज भी जानने और समझने की आवश्यकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि कई वेब सीरीज में लोक गीतों का खूबसूरती से इस्तेमाल किया गया है। आज के समय में लोक संगीत का एक नया अध्याय शुरू हुआ है, और यह बहुत खुशी की बात है कि लोग फिर से इसकी ओर लौट रहे हैं। इसके साथ ही, उन्होंने अपनी संस्था ‘सोनचिरैया’ का जिक्र किया, जिसमें वह नए लोक कलाकारों को मंच प्रदान करती हैं और उन्हें सम्मानित करती हैं ताकि सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाया जा सके।

मालिनी ने यह भी स्पष्ट किया कि फिल्मों में उनके गाने कम होने का कारण बदलते हुए संगीत के तरीके हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें कभी भी पहले से सूचित नहीं किया जाता और इससे उनके कई गाने छूट जाते हैं। हालांकि, यदि उन्हें अपने अनुकूल अवसर मिलता है, तो वह अवश्य गाएंगी। अंत में, उन्होंने यह कहा कि उनके लिए सर्वश्रेष्ठ संतोष वही है, जब वे गरीब बच्चों को शिक्षा देकर उन्हें जीवन की खुशियों से परिचित करा सके। उनके नजरिए से यही उनकी असली जीत है।