AAP विधायकों के घरों की घेरेबंदी: किसानों का क्रांतिकारी प्रदर्शन, डल्लेवाल अनशन के 105वें दिन।

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5 मार्च को चंडीगढ़ कूच में असफल रहने के बाद, संयुक्त किसान मोर्चे (SKM) के बैनर तले किसानों ने आज, सोमवार को पूरे पंजाब में आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों और मंत्रियों के निवास के बाहर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। इस प्रदर्शन की योजना पहले से ही बनाई जा चुकी थी। किसानों द्वारा उक्त प्रदर्शन सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे तक किया जाएगा। यह निर्णय लुधियाना में हुई एक बैठक में लिया गया था, जिसमें किसानों ने अपनी रणनीतियों पर चर्चा की।

किसान आंदोलन पिछले एक वर्ष से पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर चल रहा है, लेकिन केंद्र सरकार के साथ वहां शामिल होने के लिए SKM की सहमति अभी तक सुनिश्चित नहीं हो पाई है। अब तक इस मुद्दे पर तीन समूहों के बीच लगभग छह राउंड की वार्ता हो चुकी है। इसके अलावा, चंडीगढ़ में केंद्र सरकार के साथ भी पिछले एक साल में छह बार वार्ता हुई है। अति महत्वपूर्ण 19 मार्च को चंडीगढ़ में फिर से एक बैठक का आयोजन किया गया है। इसी बीच, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन अब 105वें दिन में प्रवेश कर गया है।

किसानों ने यह तय किया है कि आगामी बैठक में दोनों फोरम के नेता शामिल होंगे। इससे पहले, 15 मार्च को चंडीगढ़ में SKM द्वारा एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया है, जो सेक्टर-35 स्थित किसान भवन में होगी। इस बैठक में किसान अपने संघर्ष की आगे की रणनीति पर विचार करेंगे। उल्लेखनीय है कि 5 मार्च को चंडीगढ़ कूच का निर्णय लिया गया था, लेकिन 3 मार्च को मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ हुई बैठक में असफलता के बाद किसानों को 4 मार्च को नजरबंद किया गया था, जिसके कारण वे चंडीगढ़ नहीं पहुँच पाए थे।

इस बढ़ते संघर्ष में किसानों की एकजुटता उनकी आवाज को और भी मजबूत बनाएगी। किसान संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अपनी मांगों के प्रति अडिग रहेंगे और सरकार के निष्क्रियता के खिलाफ अपनी आवाज उठाते रहेंगे। आने वाली बैठकें इस संकट के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण होंगी, जिसमें किसानों के द्वारा उठाए गए मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। किसान आंदोलन ने न केवल पंजाब बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी व्यापक ध्यान आकर्षित किया है। इस प्रकार के विरोध प्रदर्शन यह दर्शाते हैं कि किसानों की आवाज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और वे अपनी मांगों को लेकर पूरी तरह से गंभीर हैं।