दिल्ली नेताओं की नियुक्ति पर पंजाब में बवाल: विपक्ष ने लगाया सरेंडर का आरोप!

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पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार में दिल्ली से आए नेताओं की नियुक्तियों पर सियासी माहौल गरम हो गया है। विभिन्न विपक्षी दल, जिसमें कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल प्रमुख हैं, इस कदम को पंजाब की स्वायत्तता पर हमला मानते हैं। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने इसे पंजाब की जनता के साथ विश्वासघात बताया है। विवाद की शुरुआत तब हुई जब दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की करीबी सहयोगी सतबीर कौर बेदी को पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (PSEB) का चेयरमैन बनाया गया, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

अब ताजा विवाद 17 मई को AAP सरकार द्वारा पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) की चेयरपर्सन के रूप में रीना गुप्ता और औद्योगिक विकास बोर्ड के चेयरमैन के पद पर दीपक चौहान की नियुक्ति से शुरू हुआ। विपक्ष का कहना है कि रीना गुप्ता AAP की दिल्ली में प्रवक्ता रही हैं, जबकि दीपक चौहान राज्यसभा सांसद संदीप पाठक के निजी सहायक रह चुके हैं। इस तरह की नियुक्तियों को लेकर विपक्षी दल यह आरोप कर रहे हैं कि दिल्ली के नेताओं ने पंजाब सरकार पर पूरी तरह से अपना अधिकार जमा लिया है।

राजनीतिक विवाद में बढ़ते तापमान के बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि उनकी सरकार के पास अन्य राज्यों से भी विशेषज्ञ हैं और इसमें कोई भेदभाव नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके लोग विदेशों में भी महत्वपूर्ण पदों पर हैं। फिर भी, विपक्ष ने CM मान के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने अरविंद केजरीवाल के सामने सरेंडर कर दिया है।

अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया ने उन नियुक्तियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह साबित करता है कि भगवंत मान सिर्फ एक कठपुतली मुख्यमंत्री हैं, जबकि असली ताकत केजरीवाल के हाथ में है। उन्होंने पंजाब के लोगों से अपील की कि वे जागें और अपने राज्य के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ संघर्ष करें। वहीं, अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने स्पष्ट किया कि आम आदमी पार्टी एक बार फिर पंजाब के लोगों से धोखा कर रही है, क्योंकि वे दिल्ली और यूपी के लोगों को पंजाब के संस्थानों में नियुक्त कर रहे हैं।

इस विवाद में हरसिमरत कौर बादल ने भी अपनी आवाज उठाई, उन्होंने कहा कि जिस पंजाब ने 2022 में AAP को 92 विधायक दिए, उसी पंजाब में पार्टी को कोई योग्य पंजाबी नहीं मिला, जिससे यह स्पष्ट है कि बड़े पद दिल्ली के करीबी लोगों को दिए जा रहे हैं। सुखबीर बादल ने भी आरोप लगाया कि दिल्ली की टीम अब पंजाब पर शासन कर रही है, जिससे पंजाब के स्थानीय निवासियों को दरकिनार किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने इसे संविधान विरोधी मानसिकता करार दिया है, और इस मुद्दे पर जोरशोर से अपनी बात रखी है।

इन नियुक्तियों का राजनीतिक असर आने वाले समय में और भी बढ़ सकता है, क्योंकि पंजाब में सियासी माहौल पहले से ही गर्म है। विपक्षी दल एकजुट होकर AAP सरकार को चुनौती दे रहे हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का अंत कैसे होता है।