पंजाब के 30 पंजाबियों को अमेरिका से डिपोर्ट कर दिया गया, जो डंकी रूट के जरिए वहां पहुंचे थे। इनमें से कई लोगों ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने की उम्मीद में लाखों रुपये खर्च किए थे। कुछ ने जमीन और गहने बेचकर, जबकि अन्य ने उच्च ब्याज पर कर्ज लेकर इस सफर का खर्च उठाया। अमेरिका पहुंचकर सभी ने अपने जीवन में सुधार की आशा की थी, लेकिन अचानक डिपोर्ट होने के बाद उनकी उम्मीदें हवा में उड़ गई हैं। परिवार के सदस्यों को इस बात का थोड़ी तसल्ली जरूर है कि उनके बच्चे सुरक्षित घर लौट आए हैं, परंतु उनके समक्ष कई गंभीर आर्थिक समस्याएं सामने आ गई हैं। अब सवाल यह है कि वे अपने कर्ज का क्या करेंगे और अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे करेंगे।
मोहाली के प्रदीप ने 41 लाख रुपये खर्च करके अमेरिका पहुंचने की कोशिश की, जिसमें उसने एक एकड़ जमीन बेची और कर्ज भी लिया। उसकी मां नरिंदर कौर ने कहा कि प्रदीप वहां 15 दिन पहले पहुंचा था, लेकिन उसकी अचानक वापसी ने परिवार को मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान कर दिया है। प्रदीप के पिता पहले से ही डिप्रेशन का शिकार हैं, और परिवार की स्थिति इतनी खस्ता हो गई है कि वे अब नमक-रोटी खाने में भी सक्षम नहीं हैं। प्रदीप की मां ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से मदद की गुहार लगाई है।
हरविंदर सिंह, एक किसान, ने भी अपने परिवार की जिम्मेदारियों को समझते हुए अमेरिकी जाने का निर्णय लिया। उसने 42 लाख का कर्ज लिया और 10 महीने पहले अमेरिका के लिए निकला। उसकी पत्नी कुलविंदर कौर का कहना है कि हरविंदर ने अपने बच्चों के लिए बेहतर भविष्य की तलाश में अमेरिका जाने की सोची थी, लेकिन उसे उम्मीद नहीं थी कि वह इस तरह से वापस आ जाएगा। घर लौटने के बाद उनके लिए अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि परिवार के खर्च कैसे उठाएंगे।
गुरदासपुर के जसपाल सिंह भी इसी तरह के हालात का सामना कर रहे हैं। वह भी डंकी रूट से अमेरिका जाने की कोशिश में लाखों रुपये खर्च कर चुके थे। उसका परिवार उनके बिना दुखी है और उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं, क्योंकि घर में पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं। परिवार में औसत आयु से पहले चंडीगढ़ में शासकीय नौकरी की उम्मीद थी, लेकिन अब वही उम्मीदें चूर-चूर हो चुकी हैं।
इस तरह के अनुभव केवल प्रदीप और हरविंदर के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे पंजाब के कई अन्य परिवारों के लिए भी सर्वत्र देखने को मिलते हैं। लोग अपने बच्चों को सुरक्षित और समृद्ध भविष्य की उम्मीद में विदेश भेजने की कोशिश में लगे हैं, परंतु ऐसे डिपोर्ट होने की घटनाएं उन्हें बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं। कर्ज, जमीन की बिक्री और परिवार के भविष्य की चिंता उन्हें मानसिक तनाव में डाल रही है। इससे स्पष्ट होता है कि बेहतर भविष्य की तलाश में विदेश जाना जोखिम से भरा हुआ है और सरकार को इस विषय में ध्यान देने की जरूरत है।