फाजिल्का: लेबर कमिश्नर कार्यालय का घेराव, कर्मचारी बोले- बैठक के फैसले लागू क्यों नहीं?

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पंजाब के फाजिल्का जिले में कंस्ट्रक्शन वर्कर्स एंड लेबर यूनियन एटक पंजाब ने असिस्टेंट लेबर कमिश्नर कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान यूनियन के सदस्यों ने आरोप लगाया कि पंजाब बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड की 30 मार्च 2023 को हुई बैठक में लिए गए निर्णयों को अब तक लागू नहीं किया गया है। यूनियन के राज्य स्तर के नेता एडवोकेट परमजीत ढाबा ने कहा कि सचिव से अनुमति लेने की शर्त को पूरी तरह से गलत ठहराया। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाते हुए इन निर्णयों के प्रति अधिकारियों की उदासीनता पर नाखुशी जाहिर की।

दर्जनों श्रमिक दल की बैठक में उठाए गए मुद्दों में मृतक लाभार्थियों के लिए ग्रेस पीरियड में मंजूरी को लेकर प्रिंसिपल सचिव की अनुमति की आवश्यकता पर सवाल खड़ा किया गया। इसके अलावा, उन्होंने फॉर्म नंबर 27 के ऑटो पैच से संबंधित निर्णयों को लागू करने, रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में आ रही कठिनाइयों को हल करने, और अनुचित आपत्तियों को समाप्त करने की आवश्यकता पर ध्यान दिलाया। उन्होंने यह भी कहा कि 2008 से 2024 तक के लाभार्थियों के वारिसों को, जिनकी अनपढ़ता या समय की कमी के कारण मुआवजा नहीं मिल पाया, उन्हें आवेदन देने के लिए तीन महीने का समय प्रदान करने की मांग की गई।

इस प्रदर्शन में यूनियन ने प्रमुखता से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि विभागीय कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा किए गए कथित भ्रष्टाचार पर ध्यान दिया जाए। यूनियन के सदस्यों ने कहा कि इस मामले में एक पारदर्शी जांच होनी चाहिए ताकि श्रमिकों के साथ हो रहे अन्याय को रोका जा सके।

प्रदर्शन के बाद नवनियुक्त असिस्टेंट लेबर कमिश्नर गुरप्रीत सिंह ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि वे उनकी समस्याओं का समाधान शीघ्रता से करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्होंने हाल ही में अपना पदभार संभाला है और वे जल्दी ही पूरी जानकारी हासिल कर उचित कदम उठाएंगे। हालांकि, यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करने के लिए मजबूर होंगे।

इस तरह के धरनों और प्रदर्शन समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जहाँ श्रमिक अपनी समस्याओं को उठाते हैं और उनके समाधान के लिए सरकारी अधिकारियों पर दबाव बनाते हैं। इस प्रकार की एकजुटता से श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने में मदद मिलती है और समाज में जागरूकता बढ़ती है। यूनियन की इस सक्रियता से यह स्पष्ट होता है कि श्रमिक अपने अधिकारों के प्रति सजग हैं और उनकी सुरक्षा के लिए वे लगातार संघर्षरत हैं।