डायरेक्टर अपूर्व लाखिया ने अपनी हालिया बातचीत में बताया कि कैसे राजस्थान के जैसलमेर में लोग अमिताभ बच्चन को एक प्रकार के भगवान मानते हैं। उन्होंने साझा किया कि बिग बी के आने से उस क्षेत्र में लंबे समय से चल रहे सूखे का अंत हो गया था, जिसके बाद वहां के निवासियों ने उनके पांव छूने के लिए लंबी कतारें लगानी शुरू कर दी थीं। अपूर्व लाखिया ने फ्राइडे टॉकीज के पॉडकास्ट पर इस घटना के बारे में विस्तार से चर्चा की, जिसमें उन्होंने कहा, “मैं और अभिषेक बच्चन ‘मुंबई से आया मेरा दोस्त’ नामक फिल्म की शूटिंग जैसलमेर में कर रहे थे। तब उस स्थान पर भयंकर सूखा था।”
उनके अनुसार, अमिताभ बच्चन न्यू ईयर के उत्सव के लिए वहां आने वाले थे और कुछ अन्य लोग जैसे जया भादुरी, श्वेता बच्चन नंदा और अमर सिंह भी उनके साथ मौजूद थे। अपूर्व ने अनुभव साझा किया कि जब बच्चन जी का काफिला जैसलमेर में पहुंचा, तो वहां की सड़कें लग्जरी गाड़ियों से भरी थीं, जिसे स्थानीय निवासियों ने पहले कभी नहीं देखा था। जैसे ही अमिताभ बच्चन का काफिला सेट के पास पहुंचा, अचानक आसमान में काले बादल छा गए।
डायरेक्टर ने आगे कहा, “जब वह गाड़ी से उतरे और अभिषेक को गले लगाया, उसी समय बारिश शुरू हो गई।” उन्होंने बताया कि बारिश इतनी भारी रही कि नदियों में जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिससे पूरा गांव प्रभावित हुआ। अपूर्व ने कहा, “ऐसी जोरदार बारिश हुई कि हमारे आसपास की सभी नदियां उफान पर थीं। यह एक अद्भुत दृश्य था।”
अपूर्व लाखिया का कहना है कि इसके तुरंत बाद, जैसलमेर के 40,000 से 50,000 लोग होटल के बाहर अमिताभ बच्चन के पांव छूने के लिए आने लगे। उन लोगों का मानना था कि जब बिग बी जैसे व्यक्ति वहां आए हैं, तो वह किसी देवता के रूप में आए हैं। अपूर्व ने यह भी कहा कि जैसलमेर में पानी की कमी थी, लेकिन अमिताभ बच्चन के आगमन के बाद क्षेत्र में जलप्रवाह अचानक से बढ़ गया। उन्होंने यह सब अपनी आंखों से देखा और यह घटना उनके लिए अविस्मरणीय बन गई है।
इस प्रकार, अपूर्व लाखिया की इस कहानी ने यह स्पष्ट कर दिया कि किसी व्यक्ति की महत्ता और उसके प्रभाव की सीमाएं केवल फिल्म उद्योग तक सीमित नहीं हैं। जब बात अमिताभ बच्चन की आती है, तो उनका नाम पूरे भारत में एक तरह की दिव्यता का प्रतीक बन चुका है। उनके प्रशंसक केवल उनके फिल्मी काम के कारण ही नहीं, बल्कि उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति से भी प्रेरित होते हैं। जैसलमेर के लोग उनके प्रति श्रद्धा और प्रेम के प्रतीक के रूप में उन्हें भगवान मानते हैं, जो स्थानीय लोगों के लिए आशीर्वाद के समान हैं।