पाकिस्तान के लिए 72 यात्रियों की रवानगी: कटासराज के दर्शनों को निकले, 82 को मिला वीजा!

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अमर उजाला समाचार सेवा के अनुसार, देशभर से 72 श्रद्धालुओं का एक जत्था आज पाकिस्तान स्थित कटासराज दर्शन करने के लिए रवाना हुआ। ये यात्री अमृतसर के प्रसिद्ध श्री दुर्गियाना तीर्थ पर इकट्ठा हुए, जहां से वे वाघा बॉर्डर के माध्यम से पाकिस्तान पहुंचेगे। इस जत्थे में शामिल भक्त विभिन्न राज्यों से आए हैं और यह यात्रा 25 दिसंबर को भारत वापस लौटने तक जारी रहेगी। यात्रा के दौरान, श्रद्धालु पाकिस्तान में स्थित अपने धार्मिक स्थलों का दर्शन करने का अवसर पाएंगे।

इस यात्रा का नेतृत्व करने वाले लक्ष्मी कांता चावला ने कहा कि टाटा नगर से आए श्रद्धालुओं का एक समूह कटासराज की यात्रा के लिए निकला है। उन्होंने बताया कि कुल 116 लोगों ने इस यात्रा के लिए वीजा आवेदन किया था, लेकिन केवल 82 लोगों को ही वीजा प्राप्त हुआ। यात्रा में शामिल 10 लोग व्यक्तिगत कारणों से नहीं जा सके, जबकि बाकी सभी श्रद्धालु अपने धार्मिक सिद्ध स्थलों का दर्शन करने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि दूसरा जत्था शिवरात्रि पर पाकिस्तान के लिए रवाना होगा, जिससे धार्मिक पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा।

विजय कुमार, जो टाटा नगर से यात्रा पर आए हैं, ने बताया कि पिछले वर्ष केवल 55 यात्रियों को वीजा प्राप्त हुआ था, परंतु इस बार संख्या में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि हर साल अधिक से अधिक श्रद्धालुओं की इच्छाशक्ति इस टिकट के लिए बढ़ रही है, और वे अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं कि हर श्रद्धालु को वीजा मिले। यात्रा में चकवाल के कटासराज के अलावा राधा कृष्ण मंदिर, श्री वाल्मीकि जी का मंदिर और अमृत कुंड के दर्शन करने का भी कार्यक्रम है।

हालांकि, इस यात्रा की एक चिंता यह भी है कि 34 श्रद्धालु वीजा पाने में असफल रहे। उन्हें सूचना मिल गई थी जब वे टाटा नगर से अमृतसर पहुंचे। इसको लेकर उन्होंने मांग की है कि सभी श्रद्धालुओं को वीजा जारी किया जाए और जिन लोगों को वीजा नहीं मिला, उन्हें समय से जानकारी दी जाए ताकि वे भविष्य में ऐसी यात्रा की योजना बना सकें। यात्रा का यह आयोजन धार्मिक सद्भावना और एकता को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

संक्षेप में, यह यात्रा मात्र एक धार्मिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह भारतीय और पाकिस्तानी समाज के बीच संबंधों को भी मजबूती देने का एक प्रयास है। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भावनाओं की कद्र करना बहुत जरूरी है और सरकारों को चाहिए कि वे इस दिशा में और अधिक ध्यान दें। सभी श्रद्धालुओं को अपने धार्मिक स्थलों के दर्शन का अवसर प्रदान करना एक सकारात्मक पहल है, जिसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए।